पंजाब दस्तक, सुरेन्द्र राणा: पंजाब के भाजपा प्रधान एवं पूर्व सांसद सुनील जाखड़ किसानी हित में खड़े हुए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से चावल उद्योग की मूलभूत मांगों को प्रभावी ढंग से हल करने का आग्रह किया। उन्होंने भाजपा महासचिव तरूण चुग सहित केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल के समक्ष यह मांग रखी।
सुनील जाखड़ ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर उन्हें न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) पर प्रतिबंध बारे धान उत्पादकों व उद्योगपतियों की चिंता से अवगत कराया। साथ ही बासमती और धान उगाने वाले किसानों की आय के संभावित प्रभाव की भी जानकारी दी। इस पर केंद्रीय मंत्री ने किसानों और चावल उद्योग को केंद्र द्वारा पूर्ण सहयोग और सहायता प्रदान का भरोसा दिया।
केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों को दिए निर्देश
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संबंधित अधिकारियों को चावल उद्योग की मूलभूत मांगों पर प्राथमिकता से गौर करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बासमती पर 1200 डॉलर प्रति टन की न्यूनतम निर्यात मूल्य सीमा एक अस्थायी उपाय है। जिसके चलते चावल निर्यातकों को शीघ्र उचित राहत दी जाएगी।
सुनील जाखड़ ने फोर्टिफाइड चावल (FR) के नमूनों की विफलता के मुद्दे पर कई राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ प्रयोगशाला परीक्षण की गुणवत्ता को लगातार बढ़ाने के प्रयासों के लिए केंद्रीय खाद्य विभाग की सराहना की। साथ ही केंद्रीय मंत्री से प्रभावी तंत्र विकसित करने पर विचार का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि चावल के नमूनों में खामियों का सारा कसूर मिलर्स का नहीं है।
इससे पहले पंजाब की विभिन्न राइस मिलर एसोसिएशन ने सुनील जाखड़ से मिलकर अपनी चिंता जाहिर कर हल की मांग की थी।
सरकारी अधिकृत निजी निर्माताओं से FRK खरीदते हैं मिलर्स
चावल मिलर्स सरकार द्वारा अधिकृत निजी निर्माताओं से फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) खरीदते हैं। उन्हें केवल कस्टम मिल्ड राइस (CMR) का उचित मिश्रण अनुपात सुनिश्चित करने के लिए ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। जाखड़ ने कहा कि फोर्टिफाइड चावल के माध्यम से नागरिकों को बेहतर पोषण प्रदान करने का विशेष प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत भारत के दृष्टिकोण को साकार करने का हिस्सा है।
प्रयोगशाला तंत्र मजबूत होने की उम्मीद जताई
एक ही चावल के ढेर से लिए नमूनों की प्रयोगशाला रिपोर्टों में भिन्नता के मुद्दे पर सुनील जाखड़ ने सुझाव दिया कि चावल के नमूने इक्ट्ठे करने और जांच के समय किसी ढिलाई से बचने के लिए मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रयोगशालाओं के स्तर पर प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने संसाधनों और सहयोग के चलते प्रयोगशाला परीक्षण तंत्र मजबूत होने की उम्मीद भी जताई।
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