आज लॉन्च होगा चंद्रयान-3, दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन सकता है भारत

punjabdastak

देश: चंद्रयान-3 दोपहर ढाई बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडरकी सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा।

चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 में भी लैंडर और रोवर भेजा जाएगा, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले मून मिशन का ऑर्बिटर अभी भी अंतरिक्ष में काम कर रहा है।

चांद पर लैंडिंग में हो सकता है बदलाव

चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23-24 अगस्त को तय की गई है, लेकिन वहां सूर्योदय की स्थिति को देखते हुए इसमें बदलाव हो सकता है। अगर सूर्योदय में देरी होती है तो इसरो लैंडिंग का समय बढ़ाकर इसे सितंबर में कर सकता है।

क्या है चंद्रयान-3 मिशन?

चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। इसमें एक प्रणोदन मॉड्यूल, एक लैंडर और एक रोवर होगा। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया है।

अंतरिक्ष क्षेत्र के कारोबार में बढ़ेगी भारत की हिस्सेदारी : नंबी

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने दावा किया है कि अगर चंद्रयान-3 सफलता से चंद्रमा पर उतरा तो भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र के कारोबार में हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका मिलेगा। इस समय 60 हजार करोड़ डॉलर के आंके जा रहे इस क्षेत्र में हमारा हिस्सा महज 2 प्रतिशत है। इसके आगे बढ़ने की संभावना बढ़ेगी।

मिशन मुश्किल, लेकिन सफलता जरूरी : माधवन नायर

चंद्रयान-3 के हर तरह से सफल होने की अपेक्षा जताते हुए इसरो के पूर्व अध्यक्ष माधवन नायर ने कहा कि यह मिशन अंतरिक्ष अध्ययन क्षेत्र में भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने माना कि चंद्रमा पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग बेहद मुश्किल व जटिल है। कहा मिशन की सफलता जरूरी है।

सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता साबित करेंगे : डॉ. अन्नादुरई

भारत के मून-मैन व चंद्रयान-1 के मिशन डायरेक्टर डॉ. मायलस्वामी अन्नादुरई ने चंद्रयान-3 को बेहद अहम मिशन बताया। कहा, भारत ने चंद्रमा के परिक्रमा पथ को लेकर अपनी तकनीकी क्षमता साबित की है, अब सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता साबित करनी है। आज जब पूरी दुनिया फिर से चांद को देख रही है। हमें यह मिशन सफल बनाना ही होगा।
हमारे 14 दिन और चंद्रमा के एक दिन के बराबर काम करेगा मिशन
लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर एक दिन में 14 पृथ्वी दिवस के बराबर अपना काम व परीक्षण करेंगे। उल्लेखनीय है कि यह समय चंद्रमा के एक दिन के बराबर होगा। इसरो के पूर्व निदेशक के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता भारत के अगले प्रमुख मिशन गगनयान को हौसला देगी। उन्हीं के कार्यकाल में 2019 में चंद्रयान-2 मिशन भेजा गया था, जिसमें लैंडर को चंद्रमा पर उतारने में सफलता नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि इसरो ने इस विफलता की वजह बनी चीजों काे फिर से तैयार किया और उन्हें सुधारा। इस बार निश्चित ही सफलता मिलेगी। सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 के सामने पिछले मिशन जैसी ही चुनौतियां हैं, वहीं अंतरिक्ष में कई चीजें अज्ञात रहती हैं। लेकिन गलतियों से सीख लेकर हमने नया आत्मविश्वास पाया है। उम्मीद है कि इस बार मिली सफलता भावी पीढ़ियों के लिए फायदेमंद साबित होगी। मिशन में हुए परीक्षण न केवल चंद्रमा की सतह, बल्कि पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में भी वैज्ञानिक जानकारियां बढ़ाएंगे।
चंद्रमा के लिए भारत के तीसरे मिशन चंद्रयान-3 का शुक्रवार दोपहर 2:35:17 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण होगा। इसके लिए बृहस्पतिवार दोपहर 1:05 बजे से 25.30 घंटे का काउंटडाउन शुरू हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-3 के जरिये चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारेगा। सफल रहने पर भारत दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला पहला और चंद्रमा पर यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा। अब तक रूस, अमेरिका और चीन ही चंद्रमा पर यान उतार सके हैं।

चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण अंतरिक्ष में भारी उपग्रह ले जाने के लिए बने रॉकेट एलवीएम-3 एम4 (पूर्व नाम – जीएसएलवी मार्क 3) से होगा। इससे करीब एक माह बाद 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग (पूरे नियंत्रण के साथ सतह पर सुरक्षित उतारना) करवाई जाएगी। चंद्रमा का यह हिस्सा अब तक मानव की नजरों से छिपा रहा है।

Share This Article
Leave a comment