शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल सरकार ने 1000 करोड़ रुपए के नए कर्ज के लिए अप्लाई कर दिया है। इससे पहले सरकार 800 करोड़ का कर्ज ले चुकी है। इस तरह 30 दिन के भीतर ही दूसरी बार कर्ज लिया जा रहा है। कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन के भुगतान के कारण सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
1000 करोड़ का लोन 500-500 करोड़ की दो अलग-अलग मदों में लिया जा रहा है, जो 5 जुलाई तक राज्य सरकार के खजाने में आएगा। राज्य सरकार को यह लोन 15 साल की अवधि यानी 2038 तक लौटाना है। इस तरह करंट फाइनेंशियल ईयर में सुक्खू सरकार का 1800 करोड़ का कर्ज हो जाएगा।
हिमाचल की आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली स्थिति हो गई है। राज्य की अपनी आय के सीमित संसाधन हैं। वहीं, खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। कांग्रेस द्वारा चुनाव में दी गई गारंटियों की वजह से सरकार पर ज्यादा दबाव है। इससे कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। अच्छी बात यह है कि सरकार ने आय के संसाधन बढ़ाने का प्रयास किया है, लेकिन वाटर सेस में केंद्र ने अडंगा डाला है।
वहीं, आबकारी नीति से इनकम में कुछ में इजाफा जरूर हुआ है, लेकिन इसके अच्छे परिणाम आने में अभी वक्त लगेगा।
77 हजार करोड़ हो जाएगा कर्ज 1000 करोड़ का नया कर्ज मिलने के बाद राज्य पर लगभग 77 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ जाएगा। इससे पहले दिसंबर 2022 में सत्ता में आई सुक्खू सरकार ने बीते वित्त वर्ष 2022-23 में भी 3200 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था।
10 हजार करोड़ कर्मचारियों व पेंशनर का बकाया
इसी तरह राज्य पर कर्मचारियों और पेंशनर की 10 हजार करोड़ की देनदारी है, क्योंकि पूर्व जयराम सरकार ने छठे वेतनमान के लाभ तो दे दिए थे। मगर जनवरी 2016 से तय एरियर का भुगतान पूर्व सरकार नहीं कर पाई थी।
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