किंग चार्ल्स की ताजपोशी के लिए इस पत्थर को स्कॉटलैंड से लंदन क्यों लाया गया? जानिए स्टोन ऑफ स्कोन की अहमियत

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ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद किंग चार्ल्स की ताजपोशी की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इस दौरान कई देशों की जानी मानी हस्तियां भी पहुंचेंगी. उनके राज्याभिषेक के लिए एक खास पत्थर भी स्कॉटलैंड से लंदन लाया गया है. इस पत्थर का नाम स्टोन ऑफ स्कोन है. इसे कड़ी सुरक्षा के बीच लंदन लाया गया, जिसमें ब्रिटेन की पुलिस के अलावा सेना की कई टुकड़ियां लगीं और एक स्पेशल कैरियर भी लगाया गया.

रॉयटर्स के मुताबिक, ये पत्थर शनिवार (29 अप्रैल) को लंदन पहुंच गया. स्टोन ऑफ डेस्टिनी के नाम से भी जाना जाने वाला ये पत्थर ब्रिटेन राजघराने के लिए आखिर इतना महत्वपूर्ण क्यों है कि इसे स्कॉटलैंड के एडिनबरा से इतनी सुरक्षा के बीच स्पेशल कैरियर में लंदन लाया गया. दरअसल, ये पत्थर कोई मामूली टुकड़ा नहीं है. ब्रिटिश राजघराने से इसका बेहद पुराना संबंध रहा है.

1996 के बाद पहली बार किया गया ट्रांसफर

ये पत्थर स्कॉटलैंड की राजशाही और राष्ट्रवाद के एक पवित्र ऐतिहासिक प्रतीक के रूप में जाना जाता है. साल 1996 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि इसे ट्रांसफर किया गया हो. इसका उपयोग 6 मई को किंग चार्ल्स तृतीय की ताजपोशी के समय किया जाएगा. हिस्टोरिक एनवायरनमेंट स्कॉटलैंड ने कहा कि स्टोन ऑफ डेस्टिनी को स्कॉटलैंड की राजशाही और राष्ट्रवाद के एक पवित्र, ऐतिहासिक प्रतीक के रूप में माना जाता है. इसे पिछले 25 साल में पहली बार स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग कैसल में अपने स्थायी घर से लंदन ट्रांसफर किया जा रहा है.

इस पत्थर की देखभाल का जिम्मा हिस्टोरिक एनवायरनमेंट स्कॉटलैंड के हाथों में था. ये एक लाल बलुआ पत्थर का एक आयताकार ब्लॉक है. हालांकि इसकी उत्पत्ति कहां हुई इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है लेकिन माना जाता है कि 9वीं शताब्दी की शुरुआत में इसका इस्तेमाल स्कॉटिश राजाओं के उद्घाटन में किया गया था. साल 1950 में क्रिसमस के दिन इस पत्थर को स्कॉटलैंड के राष्ट्रवादियों ने ले लिया था लेकिन कुछ महीने बाद स्कॉटलैंड से 800 किमी दूर अरोबथ एबे से बरामद किया गया.

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