चंडीगढ़/शिमला: हिमाचल में मौजूद जल विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने के मामले में हरियाणा और हिमाचल के मुख्यमंत्रयों की बैठक में फिलहाल कोई हल नहीं निकला है। बैठक में हिमाचल के सीएम सुखविंद्र सिह सुक्खू ने हवाला दिया कि जो वाटर सेस लगा है उससे हरियाणा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि जब निजी कंपनियों को मंहगी बिजली मिलेगी तो वे महंगी बिजली बेचेंगे।
हिमाचल सरकार निजी कंपनियों से बात के लिए बनाएगी कमेटी
अब इस मामले को लेकर हिमाचल सरकार निजी कंपनियों से मोलभाव के लिए अधिकारियों की कमेटी बनाएगी। कंपनियां हिमाचल सरकार के एक्ट की आड़ में अधिक पैसा न ले यह कमेटी तय करेगी। जिसके बाद दोनों राज्यों के अधिकारी बैठक करेंगे। बैठक के बाद सीएम मनोहर लाल ने मीडिया से कहा कि इस मुददे पर हम असहमति के लिए सहमत हैं। हिमाचल की ओर से थोपा जाने वाला कोई कर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पैसे की कमी है तो हरियाणा पावर प्रोजेक्ट लगाने को तैयार
इससे पूर्व अंदर हुई बातचीत में मनोहर लाल ने सुक्खू से कहा कि कोई भी टैक्स हो वह कानून के दायरे में लगना चाहिए। यदि कल को हम कहें कि हिमाचल से आने वाली गाडिय़ों पर टैक्स लगेगा तो यह फैसला उचित नहीं होगा। आप शराब पर टैक्स लगाएं, अपने राज्य में अपने पानी पर टैक्स लगाएं, अपनी घरेलू बिजली पर टैक्स लगाएं, लेकिन जल विद्युत परियोजनाएं अंतरराज्यीय मामले हैं, इस पर कोई सेस नहीं लगाया जाना चाहिए। बात राजस्व की हुई तो मनेाहर लाल ने यह भी कहा कि यदि हिमाचल में राजस्व की कमी है तो आप प्रस्ताव भेजें हरियाणा सरकार वहां अपना पावर प्रोजेक्ट लगाएगी, उससे हिमाचल के राजस्व में भी बढ़ोत्तरी होगी।
हरियाणा को नुकसान नहीं सुक्खू
सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बातचीत में हिमाचल का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में स्थापित जलविद्युत परियोजनाओं पर हिमाचल सरकार द्वारा लगाए जाने वाले जल उपकर से हरियाणा को कोई नुकसान नहीं होगा। राज्य में चल रही लगभग 172 जलविद्युत परियोजनाओं में पानी पर नहीं बल्कि बिजली उत्पादन पर जल उपकर लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बैठक का उद्देश्य जल उपकर को लेकर भ्रांतियों को दूर करना है।
संयुक्त परियोजनाओं पर होगी दोनों राज्यों की बैठक
बैठक में रेणुका बांध परियोजना और हिमाचल, हरियाणा व उत्तराखंड की संयुक्त किशाऊ जलविद्युत परियोजना पर विस्तृत चर्चा हुई. आदि बद्री परियोजना के क्रियान्वयन, सरस्वती नदी के उद्गम पर भी चर्चा की गई। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विभिन्न संयुक्त परियोजनाओं के क्रियान्वयन में अनावश्यक देरी से परियोजना की लागत बढ़ जाती है। जबकि योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता है क्योंकि परियोजना के लाभ में भी देरी होती है. उन्होंने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं को लेकर भविष्य की नीति तय करने के लिए दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी बैठक करेंगे।
हिमाचल ने दिया निवेश का न्योता
हरियाणा को हिमाचल प्रदेश में जलविद्युत परियोजनाओं और हरित हाइड्रोजन में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल में निवेश दोनों राज्यों के लिए फायदेमंद साबित होगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि जलविद्युत परियोजनाएं भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के अलावा पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल में निवेश पर प्रभावी ढंग से विचार किया जाएगा।
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