पंजाब/हरियाणा: हरियाणा में 27 साल पहले शराब बंदी कामयाब नहीं हो पाई, लेकिन 18 फीसदी गांव अब भी चाहते हैं कि उनके यहां शराब की बिक्री न हो। पिछले 4 साल में 6228 में से 1296 (20.8%) ग्राम पंचायतों ने आबकारी एवं कराधान विभाग को शराब ठेके न खोलने का प्रस्ताव भेजा। इनमें से विभाग ने सिर्फ 496 पंचायतों के प्रस्ताव मंजूर किए। बाकी 800 गांवों के प्रस्ताव नामंजूर कर दिए गए। इनके प्रस्ताव विभाग के नियमों में फंस गए। ग्रामीणों ने शराब ठेके बंद कराने के पीछे शरारती तत्वों द्वारा हुड़दंग और स्कूली बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ना बताया है।
गांव में शराब बंद कराने की 2 बड़ी शर्तें
जो पंचायत अपने गांव में शराब ठेका नहीं खुलवाना चाहती, उसे गांव के 10% मतदाताओं की सहमति के साथ ग्राम सभा की बैठक में प्रस्ताव पारित करना होता है।
ठेका न खुलवाने की शर्त यह भी है कि गांव में पिछले 2 साल के दौरान अवैध शराब की बिक्री का कोई मामला सामने न आया हो। गांव में गुरुकुल हो तो भी ठेका नहीं खुलेगा।
11 जून को आएगी नई आबकारी नीति
प्रदेश की नई आबकारी नीति 11 जून को घोषित होगी। पिछले दिनों डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि पंजाब की आबकारी नीति के कारण हरियाणा को कुछ इलाकों में नुकसान हुआ है। वहीं, अधिकारियों ने नए शराब ठेके भी तलाशने शुरू कर दिए हैं।
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