पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व और मौजूदा सांसदों/विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों के धीमे ट्रायल पर सवाल उठाते हुए इसमें तेजी लाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल में देरी से न सिर्फ अदालत का समय की बर्बाद होता है बल्कि गवाहों को प्रभावित करने की संभावना भी बढ़ जाती है।
माननीयों पर लंबित आपराधिक मामलों को लेकर हाईकोर्ट की ओर से लिए गए संज्ञान मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ट्रायल में देरी से आरोपी भी पीड़ित बना रहता है, क्योंकि उस पर लगा कलंक बना रहता है। हाईकोर्ट ने अब मामले में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के डीजीपी व जांच एजेंसियों के निदेशकों को आदेश दिया है कि हरसंभव कोशिश करें कि इन केस के ट्रायल में देरी न हो, यह सुनिश्चित करें।
जांच एजेंसियों ने हाईकोर्ट में जो स्टेटस रिपोर्ट दायर की है, उस पर असंतुष्टि जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि इन रिपोर्ट से कुछ खास होता नजर नहीं आ रहा है। कुछ कदम जरूर उठाए गए हैं और जांच में तेजी आई है लेकिन धीमा ट्रायल केस को अंजाम तक पहुंचने नहीं दे रहा है।
जांच पूरी होने के बाद केस अदालत में आता है लेकिन गवाहों की गैर-हाजिरी में ट्रायल में देरी बड़ा कारण बनती है। ऐसे में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के डीजीपी और जांच एजेंसियों के निदेशक की जिम्मेदारी है कि वह इस समस्या का समाधान करें।
हाईकोर्ट ने अब 19 जनवरी को अगली सुनवाई पर पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के डीजीपी सहित जांच एजेंसियों के निदेशकों को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया है
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