पंजाब दस्तक: भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे पंजाब के 6 जिलों की 21,600 एकड़ कृषि योग्य जमीन जो तारबंदी के चलते उस पार चली गई थी, उसे अब किसानों की हद में लाने की तैयारी चल रही है। सीएम भगवंत मान ने वीरवार को फरीदाबाद में गृह मंत्रियों की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को कंटीली तार व असल सरहद के बीच दूरी को घटाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह दूरी मौजूदा एक किलोमीटर की बजाय 150-200 मीटर तक घटा दी जाए।
वहीं, पंजाब के अफसरों ने यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल 1992 में जब तारबंदी हुई थी उस वक्त 1.2 लाख किसान परिवार प्रभावित हुए थे। उसके बाद से किसान अपनी ही जमीन पर खेती करने से वंचित हो गए। किसानों को केवल सुबह 9 से शाम चार बजे तक ही कंटीली तार के पार जाकर खेती करने की इजाजत है। इसके लिए पहले उन्हें बीएसएफ की अनुमति लेनी पड़ती है। किसान पिछले 30 साल से मांग कर रहे कि या तो उन्हें कहीं और जमीन दे दी जाए या फिर कंटीली तार को जीरो लाइन तक बढ़ाया जाए ताकि वे आसानी से और 12 महीने खेती कर सकेे।
विरोध की वजह
बॉर्डर पर केवल सुबह 9 से शाम 4 बजे तक ही खेती की है इजाजत, इससे किसानों को हो रहा है नुकसान
1992 में सीमा पर हुई तारबंदी के कारण 6 जिलों के 1.2 लाख से ज्यादा किसान परिवार हुए प्रभावित
किसानों की मांग- यदि कंटीली तार को खिसकाना संभव न हो तो बदले में कहीं और जमीन दे दी जाए
2500 से 3500 एकड़ जमीन तारबंदी में ही चली गई
फाजिल्का, फिरोजपुर, तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर और पठानकोट जिले की 2500 से 3500 एकड़ जमीन तो तारबंदी में ही चली गई है। तकनीकी गलतियों के कारण ऐसा हुआ जबकि इसे बचाया जा सकता था।
कई किसानों की तो 20 से 30% जमीन तारबंदी के पार चली गई
कई परिवारों की तो 20 से 30 फीसदी जमीन तारबंदी के पार चली गई। किसानों को कोई मुआवजा नहीं मिल रहा, क्योंकि सरकार का कहना है कि उसने जमीन का अधिग्रहण ही नहीं किया है। पीढ़ी दर पीढ़ी किसान इस दंश को झेल रहे हैं।
5 हजार से 20 हजार रुपए तक पहुंची मुआवजे की मांग
30 साल पहले किसानों ने 5 हजार रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा मांगना शुरू किया था, जो बाद में 10 हजार रु. तक पहुंच गया। बढ़ती महंगाई और अन्य नुक्सान के चलते किसानों को अब कम से कम 20 हजार रु./एकड़ तक का मुआवजा देने की मांग की है।
+ There are no comments
Add yours