धर्मशाला, सुरेन्द्र राणा: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) के जोन-2 सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश की आवाज बुलंद की। उन्होंने पहाड़ी राज्यों की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उनके लिए अलग नीतियां बनाने की जोरदार वकालत की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश को न केवल स्वच्छ ऊर्जा देता है, बल्कि इसके पहाड़ उत्तर भारत को शुद्ध हवा देने वाले “फेफड़ों” की भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, “पंजाब और हरियाणा में बहने वाली अधिकांश नदियों का स्रोत हिमाचल प्रदेश है। हाइड्रोपावर के क्षेत्र में हम एक ‘वेल्थ स्टेट’ हैं, लेकिन हमें उसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।”
सुक्खू ने प्रदेश के 28 फीसदी वन क्षेत्र को भी देश के पर्यावरणीय हित में अहम बताते हुए इसके एवज में हिमाचल को विशेष लाभ देने की मांग रखी।
उन्होंने कहा कि दल-बदल कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के जरिए हिमाचल ने पूरे देश के लिए एक उदाहरण पेश किया है। पार्टी व्हिप के उल्लंघन पर सख्ती से कार्रवाई कर राज्य ने लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों का समुचित विकास तभी संभव है जब उन्हें मैदानी राज्यों की तुलना में भिन्न दृष्टिकोण से देखा जाए।
उन्होंने कहा, “पहाड़ी राज्यों की भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां अलग हैं, इसलिए उनके लिए अलग नीति और विशेष पैकेज आवश्यक हैं।”
मुख्यमंत्री के इस स्पष्ट और तार्किक पक्ष ने सम्मेलन में मौजूद प्रतिनिधियों को प्रभावित किया और पहाड़ी राज्यों की चिंताओं को राष्ट्रीय फलक पर मजबूती से रखने का कार्य किया।
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