शिमला, सुरेन्द्र राणा: हिमाचल हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कर्मियों को 1 जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान के लाभ देने पर फिलहाल रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने कहा, यह हैरान करने वाली बात है कि बकाया के स्थगित भुगतान के नियम व खंड को किसी भी याचिका में चुनौती नहीं दी गई है। हाईकोर्ट ने कहा कि एकल और डबल बेंच ने भी आदेश पारित करते समय इसका ध्यान नहीं रखा और याचिकाओं को बिना मेरिट के तय कर दिया। खंडपीठ ने एकल बेंच के आदेशों को भी खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को इन नियमों को चुनौती और याचिकाओं में संशोधन करने को कहा है। वहीं, सरकार को भी जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं।अभी तक कई ऐसे मामले जो न्यायालय ने तय किए हैं, उनमें सरकार को नोटिस भी जारी नहीं किए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 17 जून को होगी। हाईकोर्ट में संशोधित वेतनमान के बकाया को लेकर करीब 450 याचिकाएं दायर की गई थीं। शुरुआत में भगत राम बनाम एचआरटीसी मामले में 31 मई 2023 को आदेश पारित हुआ था, जिसमें याचिकाकर्ताओं को 1 जनवरी 2016 से 30 नवंबर 2020 तक के बकाया का भुगतान 6 फीसदी ब्याज के साथ देने के निर्देश दिए थे।अदालत ने इसके बाद कई रिट याचिकाएं इसी आधार पर स्वीकार कीं।
सरकार ने 25 फरवरी 2022 को पेंशन नियमों में संशोधित वेतनमान का लाभ 1 जनवरी 2016 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों की पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सेवा लाभ संशोधित वेतनमान के तहत अदा करने का निर्णय लिया था। 17 सितंबर 2022 को सरकार ने आदेश जारी कर वित्तीय लाभ देने के लिए किस्तें बनाईं। वित्तीय लाभों की बकाया राशि का भुगतान किस्तों में करने का प्रावधान बनाया गया। सेवानिवृत्त कर्मियों को इसका लाभ अभी तक नहीं मिला है। इसी को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं।
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