शिमला, सुरेन्द्र राणा: वर्ष 2017 में गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले से जुड़े सूरज हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों में पुलिस की सूरज को पीटने के दौरान उसके चीखने-चिल्लाने की पीड़ा भी साफ झलक रही है। सूरज को रात 9:30 बजे से 11:30 बजे तक नंगा करके उल्टा लटकाकर बुरी तरह से पीटा गया और उसके गुप्तांगों पर भी डंडे मारे गए। दर्द से कराहता सूरज जब पीड़ा बर्दाश्त नहीं कर सका तो उसने दम तोड़ दिया।कोटखाई थाने के संतरी दिनेश और रात्रि मुंशी मुकेश के बयानों ने इस मामले की जांच करने वाली एसआईटी के गुनाहों की पोल कोर्ट के सामने खोली। इसी के चलते कोर्ट ने आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी सहित डीएसपी मनोज जोशी, सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, हेडकांस्टेबल मोहन लाल व सूरत सिंह, रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रंजीत स्टेटा को उम्रकैद की सजा सुनाई।इस मामले में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सोमेश गोयल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) भजन देव नेगी, दो पुलिस कांस्टेबल, जिसमें रात्रि संतरी दिनेश कुमार और रात्रि मुंशी मुकेश शर्मा शामिल हैं, जिन्होंने 18 और 19 जुलाई, 2017 की मध्यरात्रि को कोटखाई पुलिस स्टेशन में संदिग्ध सूरज की हिरासत में हुई, यातना के गवाह बने। हिमाचल के तत्कालीन डीजीपी सोमेश गोयल ने कोर्ट को बताया कि सूरज सिंह की मौत के बाद आईजी जैदी ने गलत सूचना दी कि सूरज की मौत दूसरे संदिग्ध के साथ हाथापाई के कारण हुई है। आईजी जैदी ने कांस्टेबल दिनेश कुमार की ओर से घटना के बारे में उन्हें बताई गई बातों को छिपाया। आईजी ने उन्हें प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भी नहीं सौंपी, बल्कि एक पत्र के माध्यम से बताया कि पुलिस स्टेशन में भीड़ की आगजनी के कारण उनकी जांच बाधित हुई
आरोपियों ने कोर्ट में दिए यह बयान
आईपीएस जैदी : बयान दिए कि सीबीआई ने रिकॉर्ड में हेराफेरी की है और उसके खिलाफ झूठे साक्ष्य तैयार किए। स्वयं को निर्दोष बताते हुए कहा है कि वह सीबीआई की ओर से दुर्भावनापूर्ण जांच का शिकार है।डीएसपी मनोज जोशी : सूरज सिंह की मृत्यु में उसकी कोई भूमिका नहीं है। वह मामले में किसी भी आरोपी को प्रताड़ित करने में शामिल नहीं था। न ही किसी गवाह ने उसके खिलाफ कोई गवाही नहीं दी।
एसएचओ राजिंद्र सिंह : सूरज सिंह के साथ उनकी कोई दुश्मनी नहीं थी और गवाहों ने उनके द्वारा किसी भी तरह की मारपीट या यातना के बारे में गवाही नहीं दी है।एचसी दीपचंद शर्मा : उसने गुड़िया मामले में न तो किसी को प्रताड़ित किया है और न ही किसी को हिरासत में लिया है। उस रात को वह न तो जांच अधिकारी के पद पर था और न ही सूरज सिंह से पूछताछ में शामिल था।
मोहन लाल: वह एसआईटी का सदस्य नहीं था। सीबीआई ने उसे गवाह बनने के लिए कहा था। उसके मना करने पर झूठा आरोपी बनाया गया।सूरत सिंह: मामले में न्यायिक जांच भी की गई थी और उसे जांच में कभी भी नहीं बुलाया गया। उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है।
रफी मोहम्मद और रंजी सतेता : दोनों ने भी खुद को निर्दोष बताया है।कांस्टेबल दिनेश कुमार की गवाही बनी सजा का आधारइस घटना में सजा का आधार घटनाक्रम के मुख्य गवाह कोटखाई थाने के संतरी दिनेश कुमार की गवाही बनी। उसी के बयानों पर सूरज की हत्या का रूक्का थाने में दर्ज किया गया था। आईजी जैदी के फोन में से दिनेश की रिकॉर्डिंग मिली, जिसमें वह उन्हें घटना की सच्चाई बता रहा है। बयान दिया कि रात करीब साढ़े नौ बजे एसआईटी के दो सदस्य लॉकअप में बंद सूरज को पहले फ्लोर पर लेकर गए।करीब आधे घंटे तक सूरज सिंह की चीखने की आवाजें सुनीं। जब उसने ऊपर जाकर देखा तो सूरज को उल्टा नंगा लटकाकर बुरी तरह से पीटा जा रहा था। रात में करीब 11.45 बजे एसएचओ राजिंद्र व अन्य जवान सूरज को बेहोशी की हालत में ग्राउंड फ्लोर पर लाए और अस्पताल ले गए। सुबह करीब 4.30 बजे उसे फोन करके थाने में बुलाया गया। एसएचओ ने उसे कहा कि घटना उसके ड्यूटी समय में हुई है, इसलिए उसके बयान पर एफआईआर दर्ज की जाएगी।एसएचओ ने कहा कि एफआईआर में दिखाया जाएगा कि सूरज को पुलिस लॉकअप में एक अन्य आरोपी राजू ने मारा है। अगली सुबह आईजी जैदी थाने में आए और उससे घटना के बारे में पूछा। उसने घटना सुनाई, जो आईजी के मोबाइल फोन में रिकॉर्ड हो गई। इसके साथ ही उससे झूठे बयानों पर भी हस्ताक्षर करने के लिए कहा, जो उसने नहीं किए। डीएसपी ने उससे कहा था कि दिनेश इसमें कुछ भी नहीं है, क्योंकि यह एक धर्म युद्ध है और इसमें कोई भी मर सकता है। सूरज सिंह एक आरोपी था और उसे फांसी होनी थी, इसलिए अगर हमने उसे मार दिया होता तो चिंता की कोई बात नहीं है।रात्रि मुंशी ने कहा, मुझसे लिखवाई गई थी झूठी रिपोर्टघटना की रात मैं रात्रि मुंशी था। एसआईटी पांच आरोपियों को जिनमें सूरज सिंह, लोकजन उर्फ छोटू और दीपक व अन्य दो को कोटखाई थाने में लेकर आई। पूछताछ के दौरान एसआईटी ने उन्हें प्रताड़ित किया और बुरी तरह से मारपीट की। सूरज को थाने में पहले फ्लोर पर बुरी तरह से पीटा गया, जिसके चिल्लाने की आवाजें नीचे तक आ रही थीं। कुछ देर बाद कुछ जवान सूरज को अस्पताल ले गए और बाद में पता चला कि उसकी मौत हो गई है। एसएचओ ने उससे कहा कि इस बारे में कोई बात नहीं करनी है। इन्होंने उससे झूठा रूक्का लिखवाया कि लॉकअप में राजू व सूरज की हाथापाई हुई जिसमें सूरज की मौत हो गई, जबकि सच्चाई यह थी कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी, बल्कि एसआईटी ने ही उसे पीटा था।
दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने मेडिकल रिपोर्ट में खोली मारपीट की पोल
सूरज का पोस्टमार्टम पहले शिमला के डॉक्टरों ने किया। सीबीआई ने इसकी जांच करवाने के लिए दिल्ली एम्स के डॉक्टरों को बुलवाया। डॉ. अभिषेक यादव व बोर्ड के अन्य सदस्यों ने कोर्ट में गवाही दी कि सूरज के शरीर पर 20 गंभीर चोटों के निशान थे। मृतक के शरीर पर चोटें मृत्यु से दो दिन से लेकर दो घंटे पहले तक अलग-अलग समय में लाठी, रॉड या डंडे जैसी किसी कुंद कठोर बेलनाकार हथियार से मारी गई थीं। सूरज के पीठ, नितंब, गुप्तांग और तलवों पर इतनी गंभीर और बेतहाशा चोटें मारने के कारण उसकी मौत की पुष्टि। मेडिकल बोर्ड ने जांच कार्यवाही में वर्णित किसी अन्य व्यक्ति के साथ हाथापाई में चोट लगने की संभावना को भी खारिज कर दिया। बिल्कुल स्पष्ट है कि मृतक सूरज की मौत उसके गुप्तांग पर चोट लगने के कारण हुई
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