शिमला, सुरेन्द्र राणा: भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं सांसद डॉ राजीव भारद्वाज ने कहा कि कांग्रेस संविधान के लिए लड़ने का नाटक कर रही है, एसी क्या नौबत आ गई की प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं समस्त नेताओं को मध्यप्रदेश में कांग्रेस आलाकमान के आगे हाजरी लगानी पड़ गई।
उन्होंने कहा कि जनता सब जानती है कि कांग्रेस का आंबेडकर को लेकर क्या स्टैंड है पर कांग्रेस नाटक करने से बाज नहीं आ रही है। कांग्रेस के नेताओं का नारा जय बापू, जय भीम, जय संविधान उनके किए गए कृत्यों के विपरीत है। राजीव ने कहा कि जिसके दिल में राष्ट्र के प्रति समर्पण हो वह कभी भी देश को तोड़ने या कमजोर करने की बात नहीं कर सकता बाबासाहेब डॉ अंबेडकर ने भी अपने हर निर्णय में इसी समर्पण को प्राथमिकता दी, आजादी के बाद जब सरदार पटेल सैकड़ों रियासतों को जोड़कर भारत को एकता के सूत्र में बांध रहे थे कश्मीर के राजा हरि सिंह भी बिना शर्त भारत में विलय के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन उसी समय शेख अब्दुल्ला ने पंडित नेहरू से जम्मू कश्मीर के लिए विशेष अधिकारों की मांग कर दी।
नेहरू ने देश की एकता और सुरक्षा पर पड़ने वाले गंभीर खतरे को दरकिनारे करते हुए बाबा साहिब से जम्मू कश्मीर के लिए अलग संविधान बनाने का आदेश दिया। लेकिन बाबा साहेब ने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए इस आदेश को सख्ती से ठुकरा दिया, उन्होंने स्पष्ट शब्दों में और निर्भीकता से कहा “आप चाहते हैं कि भारत कश्मीर की सीमाओं की रक्षा करें, सड़कों का निर्माण करें, अनाज और मदद पहुंचाए लेकिन भारतीय नागरिकों को कश्मीर में कोई अधिकार ना हो यह भारत के हितों के खिलाफ है। एक भारतीय कानून मंत्री होने के नाते मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा”। जब बाबा साहेब अंबेडकर ने जम्मू कश्मीर के लिए अलग संविधान बनाने से साफ इंकार किया तो नेहरू ने उनके फैसले को नजरअंदाज करते हुए गोपाल स्वामी अयंगर पर दबाव बनाया।
कश्मीर का संविधान नेहरू के करीबी शेख अब्दुल्ला के अनुसार तैयार हुआ और देश की अखंडता को कमजोर करते हुए नेहरू ने धारा 370 लागू कर दी, बाबा साहिब ने जिस खतरे की चेतावनी दी थी वो सच साबित हुई। धारा 370 ने कश्मीर को भारत से अलग थलग कर दिया और यह क्षेत्र आतंकवाद , अलगाववाद और परिवारवाद की चपेट में आ गया। हजारों युवा हथियार उठाने को मजबूर हुए और विकास के सारे रास्ते बंद हो गए, दशकों तक कांग्रेस की सरकारें इस विनाशकारी धारा की आड़ में कश्मीर को गर्त में धकेलती रही।
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