शिमला, सुरेंद्र राणा; सरकार ने हिमाचल में लोगों को पेड़ कटान में राहत प्रदान की है। इन आदेशों में नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायतों और छावनी बोर्ड के क्षेत्रों में पेड़ों की दो नई प्रजातियों को कटान की अनुमति मिल गई है। पेड़ कटान पर प्रतिबंध के आदेशों पर यह संशोधन तूत और बबूल के पेड़ों पर लागू होगा। इस संशोधन के साथ ही कटान की इजाजत वाले कुल पेड़ों की संख्या अब पांच पहुंच गई है। राज्य सरकार की ओर से वन विभाग ने इससे पहले चार जनवरी को अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना में पेड़ों के कटान पर प्रतिबंध लगाया था।
जबकि इन आदेशों में सफेदा, पापुलर और बांस प्रजाति को कटान प्रतिबंध से बाहर रखा गया था, जबकि अब शहतूत और बबूल को आदेश के संशोधन में शामिल किया गया है।खैर कटान को लेकर राज्य सरकार ने दस साल की समयसीमा पहले से ही तय कर रखी है। वन विभाग के यह आदेश आगामी 30 साल के लिए लागू किए गए हैं और इस संबंध में पहले राजपत्र में प्रकाशन अक्तूबर 2002 में हुआ था। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने प्रदेश में पेड़ों के कटान पर प्रतिबंध का फैसला किया है। अब इन प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है। संशोधन को लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव वन केके पंत ने अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना के अनुसार विभाग ने जिन दस वर्षीय पेड़ों को कटान की मंजूरी दी है उन्हें चिह्नित करने की अवधि आगामी दस दिन में खत्म हो रही है।31 जनवरी तक का समयवन विभाग ने इसके लिए 31 जनवरी तक का समय तय किया है और इस अवधि के गुजर जाने के बाद कटान के लिए पेड़ों को चिह्नित नहीं किया जा सकेगा। गौरतलब है कि वन विभाग ने दस वर्षीय खैर कटान पर प्रतिबंध को लेकर जारी पहली अधिसूचना में निर्देश जारी कर दिए थे। इ
नमें एक वर्ष में 200 पेड़ काटने अनिवार्य हों तो वन मंडल अधिकारी इसकी अनुमति देंगे। जबकि 300 पेड़ तक के लिए मुख्य अरण्यपाल और अरण्यपाल, 400 पेड़ काटने के लिए प्रधान मुख्य अरण्यपाल और 400 से अधिक पेड़ काटने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार की अनुमति लेनी होगी।
+ There are no comments
Add yours