शिमला, सुरेन्द्र राणा:मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि राज्य सरकार ऊना जिले में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है। संयंत्र की न्यूनतम प्रसंस्करण क्षमता 500 किलोग्राम प्रति घंटा होगी और यह मुख्य रूप से फ्लेक्स के उत्पादन पर केंद्रित होगा। कृषि विभाग को इस संबंध में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 14 प्रतिशत है, जिसमें आलू एक प्रमुख फसल है। राज्य के कुल सब्जी उत्पादन में आलू का योगदान लगभग 20 प्रतिशत है। प्रदेश में 16,960 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 2,38,317 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता हैै। उन्होंने कहा कि आलू प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना से किसानों को बेहतर पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। उद्योग और कृषि क्षेत्र दोनों में रोजगार के अवसर सृजित कर स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि आलू को फ्लेक्स जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों में संसाधित करके यह संयंत्र आलू के बाजार को स्थिर करने में मदद करेगा। इससे किसानों को ताजा आलू के बाजार में मूल्य के उतार-चढ़ाव की चिंता से भी निजात मिलेगी। आलू के फ्लेक्स इन्हें पकाने, मसलने और सुखाने से बनाए जाते हैं, जिससे बेहतरीन उत्पाद तैयार होता है, जिन्हें फिर बिक्री के लिए पैक किया जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आलू प्रसंस्करण उद्योग एक अत्यधिक औद्योगिक, तकनीकी रूप से उन्नत और बाजार संचालित क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि ऊना जिला में शरद और वसंत दोनों ऋतुओं में 3,400 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 54,200 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है, इसलिए यहां इस संयंत्र की स्थापना नितांत ही व्यवहारिक है। इसके अतिरिक्त, पड़ोसी राज्य पंजाब में भी आलू की काफी मात्रा में पैदावार होती है, जिससे प्रसंस्करण उद्योग के लिए कच्चे माल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आलू की खेती का एक प्रमुख लाभ, रबी सीजन के दौरान आलू की फसल तैयार होने की क्षमता है, जो आमतौर पर मार्च में होता है। हालांकि, बाजार की स्थितियों के कारण, किसानों को कई बार इस अवधि के दौरान चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रसंस्करण इकाई के स्थापित होने से किसानों को अपने आलू की फसल को बेहतर दामों पर बेचने का अवसर प्राप्त होगा, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोका जा सकेगा और आलू की वर्ष भर मांग सुनिश्चित होगी।

ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की जलवायु परिस्थितियां उच्च गुणवत्ता वाले और रोग मुक्त बीज आलू के उत्पादन के लिए आदर्श हैं, जिन्हें पूरे भारत में अत्यधिक महत्त्व दिया जाता है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता वरीयताओं में बदलाव और प्रसंस्करण उद्योग के विस्तार के कारण भारत में प्रसंस्कृतिक आलू उत्पादों, जैसे कि फ्लेक्स, की मांग तेजी से बढ़ रही है। हिमाचल प्रदेश में आलू प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास से न केवल स्थानीय किसानों को मदद मिलेगी, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में भी योगदान सुनिश्चित होगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *