हिमाचल हाईकोर्ट ने नाईलेट की ओर से 29 विभिन्न पदों के लिए की जा रही भर्तियों पर भी अब रोक लगा दी है।

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हिमाचल हाईकोर्ट ने नाईलेट की ओर से 29 विभिन्न पदों के लिए की जा रही भर्तियों पर भी अब रोक लगा दी है। 

शिमला, सुरेन्द्र राणा: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (नाईलेट) की ओर से 29 विभिन्न पदों के लिए की जा रही भर्तियों पर भी अब रोक लगा दी है। नाईलेट की ओर से 11 दिसंबर से इच्छुक उम्मीदवारों से 500 रुपये पंजीकरण शुल्क भी लिया जाना था। ये भर्तियां प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर विशेष शिक्षक और सहायक प्रोग्रामर के पदों के लिए होनी थीं।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।

इस खंडपीठ ने पहले ही इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन के जरिये आउटसोर्स भर्तियों पर रोक लगा रखी है और कॉरपोरेशन के तहत पंजीकृत सभी कंपनियों के डाटा बेवसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। अधिवक्ता ने आरोप लगाए हैं कि हिमाचल में 110 कंपनियां फर्जी पाई गई हैं। इसके बावजूद इनके जरिए हजारों लोगों को आउटसोर्स पर भर्ती किया जा रहा है। कई रजिस्टर्ड कंपनियां खुद ही विजिलेंस ब्यूरो के कटघरे में हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की पॉलिसी के तहत सिर्फ चतुर्थ श्रेणी की सेवाओं को आउटसोर्स पर लिया जाता है, जबकि प्रदेश में तृतीय श्रेणी के पद भी आउटसोर्स पर दिए जा रहे हैं।

अधिवक्ता ने आरोप लगाए हैं कि आउटसोर्स की वजह से जहां कई सालों से तैयारी कर रहे लाखों युवाओं को स्थायी रोजगार नहीं मिल रहा, वहीं जिन लोगों को आउटसोर्स पर रखा जा रहा है, उनके भविष्य से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 दिसंबर को होगी।

इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन नियम दरकिनार कर चहेतों को दे रहा काम

आउटसोर्स कंपनी जेके इंटरप्राइजेज ने अदालत में कहा कि इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन नियम दरकिनार कर चहेतों को काम दे रहा है।

अधिवक्ता ने कहा कि कॉरपोरेशन ने 2.5 फीसदी कमीशन फिक्स कर दी है। इससे कंपनियों का वित्तीय नीलामी का अधिकार छिन गया है। कॉरपोरेशन ने 35 कंपनियों को चयनित किया है, जिससे विभागों के काम को आउटसोर्स किया जाता है। कॉरपोरेशन इन सबसे 50-50 हजार रुपये लेती है। उसके बाद किस कंपनी को काम देना है, इसके लिए कोई पारदर्शिता नहीं है। अदालत ने एपीएसडीसी को हिमाचल प्रदेश वित्तीय नियम 2009 के मुताबिक काम करने के आदेश दिए हैं

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