आठवीं कक्षा तक के बच्चों को अंकों के आधार पर पास करने की तैयारी, जानें वजह

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हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी अंकों के आधार पर पास करने की तैयारी शुरू हो गई है। शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों की जवाबदेही तय करने को शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है। वार्षिक असेसमेंट में पास नहीं होने वाले विद्यार्थियों को दो और मौके देने की प्रस्ताव में सिफारिश की गई है।

इसके बाद भी पास न होने पर पुरानी कक्षा में ही पढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है। समग्र शिक्षा अभियान के परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने बताया कि जल्द ही इस प्रस्ताव को सरकार की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। प्राथमिक स्तर पर ही बच्चों की नींव मजबूत करने के लिए यह प्रस्ताव तैयार किया गया है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को फेल नहीं किया जाता है। हिमाचल सरकार अधिनियम के इस प्रावधान का बीते कई वर्षों से विरोध करती आई है। शिक्षा की गुणवत्ता कम होने का यह भी एक बड़ा कारण है। अब प्रदेश सरकार ने नो रिटेंशन पाॅलिसी बंद करने के लिए बड़ा फैसला लेने का मन बना लिया है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने समग्र शिक्षा अभियान के परियोजना निदेशक राजेश शर्मा को इस संदर्भ में प्रस्ताव बनाने का काम सौंपा है। राजेश ने बताया कि पास और फेल का मूल्यांकन नहीं होने से विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति रुचि कम हो गई है। शिक्षकों की जवाबदेही भी नहीं रह गई है।

इस व्यवस्था को अब ठीक करने का समय आ गया है। बच्चों को बेशक छोटी कक्षाओं में फेल नहीं किया जाए लेकिन मूल्यांकन अंकों के आधार पर करना आवश्यक हो गया है। अगर कोई विद्यार्थी पास होने योग्य अंक प्राप्त नहीं करता है तो उसे परीक्षा पास करने के लिए दो मौके देने चाहिए। इसके बाद भी अगर परीक्षा में वह फेल होता है तो दाेबारा से पुरानी कक्षा में पढ़ाना चाहिए।

निदेशक राजेश शर्मा ने बताया कि विदेश में प्राथमिक शिक्षा का ढांचा किस प्रकार का है, उसे भी स्टडी किया जा रहा है। नो रिटेंशन पॉलिसी के कारण नवीं कक्षा में पहुंचते ही विद्यार्थियों के परीक्षा परिणामों में गिरावट आ रही है। बोर्ड कक्षाओं के परिणाम भी इस कारण लगातार कम हो रहे हैं। जल्द ही इस संदर्भ में सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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