सीपीएस मामले में सुप्रीम कोर्ट से सरकार को बड़ी राहत, विधायक बने रहेंगे पूर्व सीपीएस, CPS रहेंगे या नहीं, अगली सुनवाई 20 जनवरी को

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सीपीएस मामले में सुप्रीम कोर्ट से सरकार को बड़ी राहत, विधायक बने रहेंगे पूर्व सीपीएस, CPS रहेंगे या नहीं, अगली सुनवाई 20 जनवरी को

शिमला, सुरेन्द्र राणा: हिमाचल प्रदेश सरकार को सीपीएस मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। पूर्व सीपीएस विधायक पद पर बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सीपीएस रहे विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा। इन पर उच्च न्यायालय के निर्णय का पैरा 50 लागू नहीं होगा।

मामले में शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को दो सप्ताह का नोटिस दिया है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी। बता दें, हिमाचल प्रदेश के सीपीएस कानून से जुड़ीं अलग-अलग याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। हिमाचल सरकार की ओर से मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे हैं।

सभी याचिकाओं में हिमाचल हाईकोर्ट के 13 नवंबर के फैसले को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के 18 वर्ष पुराने सीपीएस कानून 2006 को अवैध-असंवैधानिक करार दिया है। उच्च न्यायालय ने नियुक्ति को रद्द करते हुए यह भी निर्देश दिया था कि छह मुख्य संसदीय सचिवों की सभी सुविधाएं और विशेषाधिकार तत्काल प्रभाव से वापस ले लिए जाएं।

हाईकोर्ट के निर्णय के बाद छह विधायकों अर्की से संजय अवस्थी, दून से राम कुमार चौधरी, पालमपुर से आशीष बुटेल, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, बैजनाथ से किशोरी लाल और कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर को मुख्य संसदीय सचिव के पद से हटना पड़ा है।

शीर्ष अदालत में सरकार की ओर दायर याचिकाओं में कहा गया है कि मुख्य संसदीय सचिव और संसदीय सचिव के पद 70 वर्षों से भारत और 18 सालों से हिमाचल में हैं। याचिका में दलील दी गई है कि हिमाचल सरकार ने गुड गवर्नेंस और जनहित के कार्यों के लिए सीपीएस नियुक्त किए थे।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार न तो नया सीपीएस नियुक्त कर पाएगी और न ही जो सीपीएस बाहर किए गए हैं, उन्हें बरकरार रख पाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों को निर्देश दिया है कि वे अगले 2 सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करें। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 20 जनवरी तय की है।

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