कांग्रेस ने मित्रहित को रखा प्रदेश हित से ऊपर: अनुराग सिंह ठाकुर

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शिमला, सुरेन्द्र राणा: पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद  अनुराग सिंह ठाकुर ने हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) पदों व इस नियुक्ति को असंवैधानिक बताने के न्यायपालिका के निर्णय को स्वागत योग्य बताते हुए इसे कांग्रेस सरकार द्वारा अपने मित्रों को लाभ पहुँचाने की नीति के एक्सपोज़ होने की बात कही है।

अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “ आज हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा प्रदेश की कांग्रेस सरकार के जनविरोधी नीतियों मनमानियों को आईना दिखाने का निर्णय स्वागत योग्य है। कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त मुख्य संसदीय सचिव ( सीपीएस) पदों को हाईकोर्ट द्वारा असंवैधानिक बताने से कांग्रेस की मित्रों को लाभ पहुँचाने की नीति एक्सपोज़ हुई है। हम पहले भी कहते आए हैं कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार जनता की चिंता छोड़कर सिर्फ़ मित्रों के हित में कार्य कर रही है। एक तरफ़ हिमाचल कर्ज़े के बोझ तले दबा जा रहा है, कर्मचारियों को समय से वेतन-पेंशन नहीं नसीब हो रही, विकास कार्य ठप्प पड़े हैं, चुनाव पूर्व किए वादे पूरे करने की सुध नहीं और दूसरी तरफ़ कांग्रेस सरकार अपने चहेतों को असंवैधानिक पद पर बैठा कर उन्हें गाड़ी, दफ़्तर, बँगला, स्टाफ़ और मनमर्ज़ी पैसे बाँट रही है। हिमाचल की जनता के दुःख दूर करने की बजाय इस सरकार ने अपने चहेतों के शौक़ पूरे और व विलासिता में डूबा रहना ज़्यादा आवश्यक समझा जिसे आज हाईकोर्ट ने आईना दिखाने का काम किया है।मुख्यमंत्री के मित्रों की मौज के चक्कर में हिमाचल के आम जनता की गाढ़ी कमाई लुट रही थी और इस पर रोक लगाने के लिए माननीय हाईकोर्ट का यह फ़ैसला अत्यन्त महत्वपूर्ण है”

अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “ पूर्व में भी कांग्रेस सरकार के समय सीपीएस पद को कोर्ट ने असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगाई थी इसके बावजूद फिर इस सरकार ने अड़ियल रवैया दिखाते सीपीएस लगाए जोकि इस सरकार की बेशर्मी को दिखाता है। जैसा कि माननीय हाईकोर्ट ने साल 2006 के CPS एक्ट को निरस्त कर दिया है इसके साथ सभी CPS की सभी सरकारी सुविधाएं तुरंत प्रभाव से वापस लेने का आदेश दिया है तो क्याक ऐसे के इतने महीनों तक ग़लत तरीक़े से सरकारी ख़ज़ाने से पैसा लेने वाले कांग्रेसी नेता वो रक़म सरकारी ख़ज़ाने में वापस जमा करायेंगे? क्या कांग्रेस सरकार जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा अपने मित्रों के एशोआराम पर लुटाने के लिए प्रदेश से माफ़ी माँगेगी। जानबूझ कर पूरी बेशर्मी से नियमों का उल्लंघन करने व मित्र हित को प्रदेश हित से ऊपर रखने का पश्चाताप मुख्यमन्त्री कैसे करेंगे।

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