शिमला, सुरेन्द्र राणा: हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड की आर्थिक स्थिति को सुधारने में जुटी सरकार के फैसलों के खिलाफ कर्मचारी मुखर हैं। सरकार का तर्क है कि यहां पर सुधार करना जरूरी है, क्योंकि बोर्ड की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से डांवाडोल हो चुकी है। इसके लिए कड़े कदम उठाने जरूरी हैं। हालांकि कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं, जिन्होंने उपभोक्ताओं की ईकेवाईसी का काम रोक दिया है। इससे सरकार की एक महत्त्वपूर्ण योजना प्रभावित होगी। राज्य में सरकार चाहती है कि एक बिजली मीटर पर ही सबसिडी दी जाए और वह तभी हो सकता है, जब सभी घरेलू उपभोक्ताओं की ईकेवाईसी होगी। इससे सरकार के पास पूरा डाटा होगा और उसके आधार पर एक मीटर पर ही बिजली की सबसिडी मिलेगी। सरकार चाहती है कि जल्दी से जल्दी इस योजना को लागू किया जाए, मगर यहां कर्मचारियों ने रोड़ा अटका दिया है। कर्मचारी इस बात से नाराज हैं कि बोर्ड में सुधारात्मक कदमों के नाम पर कई पदों को समाप्त कर दिया गया है और अभी कुछ और पदों को समाप्त किया जाना है। इससे उनकी नाराजगी बढ़ गई है, लेकिन माना जा रहा हैकि इस मामले में सकारात्मक रूप से उनके साथ जल्दी बातचीत हो जाएगी। सूत्रों की मानें तो बोर्ड में आउटसोर्स कर्मचारियों को भी बाहर किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत ड्राइवरों से हुई है। हालांकि इनके आदेश अभी तक सामने नहीं आए हैं। मगर दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि उसके द्वारा जो कदम उठाए जाने प्रस्तावित हैं उससे करोड़ों रुपए का फायदा बिजली बोर्ड को होगा। हालांकि कर्मचारी उखड़े हैं और संयुक्त मोर्चा ने ईकेवाईसी को बंद कर दिया है।
इसके बंद होने से सरकारी योजना प्रभावित होगा। कर्मचारी लगातार संयुक्त मोर्चा बोर्ड द्वारा लिए जा रहे फैसलों को लेकर अपना मंथन कर रहे हैं और 28 अक्तूबर को अगला निर्णय लेंगे। अब वह फैसला क्या हो सकता है, यह देखना होगा क्योंकि आने वाले दिनों में त्योहार आ रहा है। इन कर्मचारियों की मांग है कि बोर्ड में ओपीएस लागू किया जाए। इसके साथ अब पदों को समाप्त करने का ज्वलंत मुद्दा सामने आ गया है।
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