जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में खुलासा, हिमाचल में 529 भालू, 510 तेंदुए

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शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल में भालू व तेंदुए की वास्तविक गणना के लिए एक सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। इसका जिम्मा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को दिया था जिसने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट में पता चला है कि राज्य में 529 भालू व 510 के करीब तेंदुए हैं। राज्य में प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में एक से अधिक भालू पाया जाता है, जबकि इतने ही क्षेत्र में दो तेंदुए हैं। 73वें वन्य प्राणी सप्ताह के दौरान सोमवार को आयोजित कार्यशाला में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से आए डा. भीम जोशी ने अपनी रिपोर्ट रखी। उन्होंने बताया कि मार्च 2022 में अध्ययन शुरू किया गया था। इसके लिए 1942 वन अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। पूर्व में जो स्टडी होती थी उसमें पैरों के निशान को देखा जाता था।

इस बार नई तकनीक जिसमें ट्रैप कैमरा का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा जंगलों से करीब दो हजार सैंपल लेकर उनका डीएनए टेस्ट करवाया गया। वन्य प्राणी प्रभाग की बीट से सैंपल एकत्र किए गए। इस अध्ययन में सामने आया है कि राज्य के दो जिलों में भालू व चार जिलों में तेंदुओं की संख्या अधिक है। सोलन, सिरमौर, मंडी व बिलासपुर में तेंदुओं की संख्या ज्यादा है, जबकि शिमला व किन्नौर में काले भालुओं की संख्या अधिक पाई गई है। प्रदेश में कई क्षेत्रों में भूरे भालू भी पाए जाते हैं।

लाहलु घाटी में वन्यजीवोंं-इनसानों में टकराव के ज्यादा मामले

डा. भीम जोशी ने बताया कि लाहुल घाटी में वन्य जीवों व इनसानों के मध्य टकराव की घटना या जानवरों के हमले ज्यादा हुए हैं जिसके कई कारण हैं। पहला कारण यह है कि घाटी में लोग जंगलों के करीब खेती करते हैं। दूसरा कारण ये भी है कि लोगों का हस्तक्षेप जंगलों में बढ़ गया है। पर्यटकों की आवाजाही हो या फिर अन्य कारण।

जंगलों में लोगों के हस्तक्षेप से गांवों की तरफ दौड़े जानवर

कार्यशाला में वन्य प्राणी प्रभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में वन्यजीवों व मनुष्यों के बीच टकराव की 12703 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कार्यशाला का शुभारंभ अतिरिक्त मुख्य सचिव वन कमलेश कुमार पंत ने किया। वन्य प्राणी विंग के प्रमुख अमिताभ गौतम ने वन्य प्राणी सप्ताह के दौरान आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी दी। विशेषज्ञ वसीम अकमरम व दिप्ति बजाज ने भी अपनी बात रखी। यहां कई दूसरे जानवरों को लेकर भी चर्चा की गई। बताया गया कि जंगलों में लोगों का हस्तक्षेप बढऩे से जानवरों को दिक्कत है, जो जंगल छोडक़र गांव की तरफ आ रहे हैं।

प्रदेश की सडक़ों पर दिख रहे तेंदुए

हिमाचल प्रदेश में तेंदुए कहीं पर भी रात के समय सडक़ पर दिख जाते हैं। मंडी जिला की करसोग, सिराज व जोगिंद्रनगर बैल्ट में इनकी काफी ज्यादा संख्या है। लोगों को इनके द्वारा हानि पहुंचाने के कई मामले भी सामने आ चुके हैं। यह जानवरी पूरी तरह से घातक हो चुके हैं। इसे लेकर भी वर्कशॉप में चिंता जताई गई।

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