विश्वकर्मा योजना में पंजीकृत विश्वकर्माओं की संख्या देश में 20,14,293 : कश्यप

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शिमला, सुरेंद्र राणा: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने केंद्रीय कार्यक्रम पीएम विश्वकर्मा प्रगति का एक वर्ष एवं लाभों का विवरण में मुख्यातिथि के रूप भाग लिया।

इस कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया।
इस अवसर पर सुरेश कश्यप ने कहा पीएम विश्वकर्मा योजना एक सिंहावलोकन
योजना भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ी संख्या में कारीगर और शिल्पकार शामिल हैं जो मुख्य रूप से काम करते हैं। अपने हाथों और औज़ारों से, ये व्यक्ति अन्त तौर पर स्वरोजगार वाले होते हैं और अधिकतर अनौपचारिक क्षेत्र में आते हैं
या असंगठित क्षेत्र, ‘विश्वकर्मा’ के रूप में जाने जाने वाले, वे पारंपरिक व्यवसायों में संलग्न है लोहार काला, सुमार कला, मिट्टी के बर्तन, बढ़ईगीरी और मूर्तिकला। इन शिल्पों में कौशल और ज्ञान है अनौपचारिक प्रशिक्षण के गुरु-शिष्य (गुरु-छात्र) मॉडल का पालन करते हुए, यह पीढ़ियों से चला आ रहा है परिवारों या छोटे कारीगर समुदायों के भीतर।

इस योजना की बड़ी उपलब्धियां रही जैसे सफलतापूर्वक पंजीकृत विश्वकर्माओं की संख्या देश में 20,14,293 है। उन राज्यों की संख्या जहां प्रशिक्षण शुरू किया गया है वह 29 है। जिन जिलों में प्रशिक्षण शुरू किया गया है उनकी संख्या 504, प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या जहां प्रशिक्षण शुरू किया गया है वह 2,640, पूर्व-मूल्यांकन (टूलकिट के लिए पात्र) वाले विश्वकर्माओं की संख्या 9,57,103, प्रशिक्षित और प्रमाणित विश्वकर्माओं की संख्या 8,57,83, वर्तमान में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे विश्वकर्माओं की संख्या 28,355, प्रशिक्षित/प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कुल विश्वकर्मा 8,86,186 और 17 सितंबर 2024 तक, प्रत्यक्ष माध्यम से कुल 253.68 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।

उन्होंने कहा की विश्वकर्मा की आर्थिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए, पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू की गई थी। 17 सितंबर 2023 उन कारीगरों और शिल्पकारों को व्यापक सहायता प्रदान करने के लिए जो मैनुअल पर निर्भर है। श्रम और पारंपरिक उपकरण के। अंतर्गत इस योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को विश्वकर्मा के रूप में मान्यता देना, उन्हें सभी का लाभ उठाने के योग्य बनाना योजना के तहत लाभ, कौशल को निखारने के लिए कौशल उन्नयन प्रदान करना और प्रासंगिक एवं उपयुक्त प्रशिक्षण उपलब्ध कराना अवसर। उनकी क्षमता, उत्पादकला बढ़ाने के लिए बेहतर और आधुनिक उपकरण प्राप्त करने के लिए सहायता प्रदान करना और उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता। लाभार्थियों को संपार्श्विक मुक्त ऋण तक आसान पहुंच प्रदान करना और ऋण की लागल को कम करना। डिजिटल सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना।

योजना का ‘विश्वकर्मा’ को अवसरों तक पहुंच में मदद के लिए ब्रांड प्रचार और बाजार संपर्क के लिए एक मंच प्रदान करना उत्तम उद्देश्य है।

विकास योजना के लाभार्थी योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार शुरुआत में 30 लाख लाभार्थियों को लक्षित किया जाएगा। इस योजना से लाभ मिलता है 18 पारंपरिक व्यवसायों में लगे कारीगर, जिनमें शामिल हैं बढ़ई (सुधार/बधाई), नाव निर्माता, कवचधारी, लोहार (लोहार), हथौड़ा और टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार (सोनार), कुम्हार (कुम्हार), मूर्तिकार (मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाला), पत्थर तोड़ने वाला, मोची (चर्मकार)/जूता/जूता कारीगर, मेसन (राजमिस्त्री), टोकरी/घटाई झाडू बनाने वाली मशीन/कॉयर बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई (नाई), माला बनाने वाला (मालाकार), धोबी (धोबी), दर्जी (दारजी); और मछली पकड़ने का जाल निर्माता।

इस योजना कहता को बड़ा लाभ है जैसे कौशल उन्नयन की दृष्टि से 5-7 दिनों का बुनियादी प्रशिक्षण और 15 दिनों या उससे अधिक का उन्नत प्रशिक्षण। रुपये का वजीफा प्रतिदिन 500 रुपये और परिवहन भत्ता 1000 रुपये है।
टूलकिट प्रोत्साहन की दृष्टि से रुपये तक का टूलकिट प्रोत्साहन। बेसिक की शुरुआत में ई-वाउचर के माध्यम से 15,000 रु कौशल प्रशिक्षण। क्रेडिट सहायताः रुपये तक का संपार्श्विक मुक्त ‘उ‌द्यम विकास ऋण’। दो किश्तों में 3 लाख रुपये का 1 लाख और रु. क्रमशः 18 महीने और 30 महीने की अवधि के साथ 2 लाख रु रियायती ब्याज दर 5% तय की गई है, जिसमें भारत सरकार 8% की सीमा तक छूट देगी।

उन्होंने कहा की वर्तमान समय में प्रदेश सरकार को भी इस एतिहासिक योजना को बढ़ावा देना चाहिए। इससे प्रदेश की जनता को बड़ा लाभ होगा। उन्हों साथ कार्यक्रम में कर्ण नंदा, सुदीप महाजन, गौरव कश्यप उपस्थित रहे।

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