मोहाली, सुरेंद्र राणा;साल 1984 के पीडित लोगों की ओर से मोहाली के चप्पड़चिड़ी में मकान बनाने के लिए खरीदी गई जमीन की सीएलयू न मिलने के चलते पीडि़तों की ओर से अब सरकार और खास करके गमाडा के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ संघर्ष करने का रास्ता अख्तियार करने का मन बना लिया है।
इतना ही नहीं सोसायटी के सदस्यों व पदाधिकारियों का दावा है कि यदि गमाडा ने एक महीने के भीतर उनकी को-ऑपरेटिव सोसायटी की सीएलयू जारी न की गई तो वह आरपार की लड़ाई लडऩे के लिए मजबूर हो जाएंगे और इसकी जिम्मेदारी गमाडा व मौजूदा पंजाब सरकार की होगी।
उपरोक्त द मदनपुर को-ऑप हाउस बिल्डिंग सोसायटी लिमिटेड रजिस्टर्ड मोहाली के पदाधिकारी जिसमें अध्यक्ष जसबीर सिंह कल्सी, उपाध्यक्ष वरजिंदर कौर, महासचिव गुरदीप सिंह, कोषाध्यक्ष आरएस चंडोक, आरपी सिंह विज, आशा जोशी, स्पोक्सपर्सन जसपाल सिंह भाटियां ने मोहाली में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान दी। इसके मौके पर सोसायटी के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि यह सोसायटी 1984 में दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में हुए सिख विरोधी दंगों के बाद अस्तित्व में आई थी। सोसायटी के 1083 सदस्य हैं और सोसायटी ने सरकार की किसी सहायता के बिना मोहाली के चप्पड़चिड़ी खुर्द और चप्परचिड़ी कलां में अपनी जमीन खरीदी। उन्होंने कहा कि साल 1986 से 2020 तक पहले के प्रबंधन ने सदस्यों के घरों के लिए भूमि विकसित करने में कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई। सोसायटी पदाधिकारी ने कहा कि जुलाई 2022 में सीएलयू के लिए आवेदन किया, लेकिन गमाडा अधिकारियों की ओर से एक के बाद एक बार-बार अस्वीकृति और आपत्तियों की शातिर प्रक्रिया ने हमें परेशान कर रखा है। हमने पंजाब के सीएम भगवंत मान से मिलने का समय लेने की बहुत कोशिश की, जिनके पास गमाडा का एक पोर्टफोलियो है, लेकिन कभी समय नहीं मिला। हमने सीएम पंजाब को ओएसडी साहिबान और ईमेल के माध्यम से सहायक दस्तावेजों के साथ बार-बार अनुरोध पत्र भेजे। पीडितों ने आरोप लगाते हुए कहा कि नौ महीने बाद भी एक पत्र एसटीपी कार्यालय में बिना किसी परिणाम के लटका हुआ है।
उन्होंने कहा कि वे प्रेस कान्फ्रेंस के माध्यम से हम एक बार फिर सीएम सर से मिलने का समय मांगते हैं, ताकि उनसे उनके 1083 परिवारों की मदद करने का अनुरोध किया जा सके।
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