चंडीगढ़, सुरेंद्र राणा: बीते दिनों कोलकाता के आर जी कर हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज पूर्वी कोलकाता के सेमिनार हॉल में 31 वर्षीय प्रशिक्षार्थी डॉक्टर का शव मिलना अपने आप में मेडिकल कॉलेज की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रशंचिंह लगाता है। डॉक्टर को समाज में जीवनदायक और दूसरे भगवान जैसे शब्दों से अलंकृत किया जाता है,परंतु ड्यूटी पर एक डॉक्टर के साथ ऐसी दरिन्दगी वास्तव में अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है।यह शब्द प्रदेश भाजपा मंत्री पंजाब मीनू सेठी ने उस डॉक्टर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहे।
उनका कहना था कि पिछले लगभग एक वर्ष से बंगाल में संदेशखाली जैसी घटनायें नियमित तौर से घटित हो रही है,जिन पर पश्चिमी बंगाल की ममता सरकार चुप्पी साधे हुए है।अब ड्यूटी पर डॉक्टर के साथ यह वाहिशीपन और हत्या समाज की मानसिक विकृति को प्रदर्शित करते हैं।
जिस स्थिति में डॉक्टर की मृतक देह मिली वह बयान करनी मुश्किल है।मीनू सेठी का मानना था कि ममता बनर्जी स्वयं एक औरत होकर महिलाओं के उत्पीड़न के मामलों को इतने हल्के में क्यों ले रही है।ममता बैनर्जी के रवैये से ऐसा लग रहा है के वे किसी प्रभावशाली व्यक्ति को बचा रही है।मृत शरीर मिलने के बाद उस स्थान पर हुई तोड़ फ़ोड और मरम्मत से साफ़ पता चलता है कि सबूत मिटाने की पूरी पूरी कोशिश की गई है।मीनू सेठी ने सी बी आइ से अनुरोध किया कि वे मामले की पूरी छान बीन करके दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाये ताकि परिवार को न्याय प्राप्त हो सके।बंगाल में आम जानता के उत्पीड़न के मामलों का राष्ट्रपति जल्द ही संज्ञान ले और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करें,ताकि आम जानता को ममता सरकार की गुंडागर्दी से मुक्ति मिले और असामाजिक तत्वों के बेलगाम घूमने पर रोक लग सके।
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