सांसद चरणजीत चन्नी के चुनाव पर लटकी तलवार! मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा

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जालंधर, सुरेन्द्र राणा: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और जालंधर लोकसभा सीट से सांसद चरणजीत सिंह चन्नी के निर्वाचन को लेकर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका पर आज सुनवाई नहीं हो पाई।

सांसद चन्नी के निर्वाचन को खारिज करने की मांग को लेकर माननीय हाईकोर्ट में दायर याचिका याचिका पर अगली सुनवाई 30 सितम्बर तक स्थगित की गई है। इस मामले में हाईकोर्ट सांसद चन्नी सहित अन्य प्रतिवादी पक्ष को पहले ही नोटिस जारी कर चुका है। हाईकोर्ट ने उन सभी प्रतिवादियों को भी नए सिरे से नोटिस जारी किया है जिन्हें पहले जारी नोटिस सर्व नहीं हो पाए हैं। चन्नी के मानसून सत्र के कारण दिल्ली में होने के कारण नोटिस सर्व नहीं हो सका था। इसके अलावा हाईकोर्ट ने जालंधर के चुनाव तहसीलदार को लोकसभा चुनाव दौरान उपयोग में लाई ई.वी.एम. को वेयरहाऊस में शिफ्ट न करने के अलावा इन्हें सुरक्षित रखने सहित सभी रिकॉर्ड मैटेन करने को कहा है।

जिक्रयोग्य है कि चुनाव समाप्त होने के 45 दिनों के उपरांत ई.वी.एम. को चुनाव आयोग की इजाजत के बाद स्ट्रांग रूम से वेयरहाऊस में शिफ्ट करना होता है। सांसद चन्नी के खिलाफ याचिका भाजपा नेता गौरव लूथरा ने अपने वकील मनीत मल्होत्रा के जरिए दायर की है जिसमें गौरव ने हाईकोर्ट को बताया कि चरणजीत चन्नी जालंधर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं परंतु उन्होंने नामांकन पत्र भरते समय कई जानकारियां छिपाई थी। इसके अलावा उन्होंने चुनाव में हुए खर्च का सही ब्यौरा भी चुनाव आयोग को नहीं सौंपा है। चन्नी चुनाव प्रचार दौरान रोजाना 10- 15 जनसभाएं करते थे, लेकिन उन्होंने चुनाव प्रचार खर्च ब्यौरे में एक भी गाड़ी न का खर्च नहीं दिखाया।

उन्होंने बिना मंजूरी रामा मंडी में रोड शो किया। चुनाव के दौरान एक होटल में 24 घंटे न खाने की सुविधा का प्रबंध किया हुआ था लेकिन चन्नी में ने अपने चुनाव प्रचार के खर्च ब्यौरे में इस खर्च का कोई में जिक्र नहीं किया है। इसके अलावा मतदान केंद्रों के बाहर 5 मतदाता पर्ची बांटने के लिए बनाए गए बूथों के हुए खर्च का ब्यौरा भी आयोग को नहीं दिया। याचिकाकर्ता ने बताया कि इन सभी छुपाए खर्च ब्यौरे से स्पष्ट हो जाता न है कि चुनाव जीतने के लिए चन्नी ने भ्रष्ट साधनों का इस्तेमाल किया। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से मांग की इन अनियिमताओं को देखते हुए जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत चन्नी का निर्वाचन रद्द किया जाना चाहिए।

 

 

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