शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश प्रदेश में 12 लाख के करीब बेरोजगार युवा हैं। रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारियों को सेवाविस्तार मिलना बेरोजगारी का बढ़ने का मुख्य कारण बन रहा हैं।
सचिवालय हो या कहीं और क्लास वन से लेकर क्लास फॉर तक रिटायर्मेंट के बाद रिइम्प्लॉयमेंट दी जा रही हैं जिससे सरकारी नौकरी के लिए दिन रात तैयारी कर रहें युवाओं का नौकरी का इंतजार लम्बा होता जा रहा हैं। बेरोजगारो को नौकरी मिलना तो दूर की बात पर रिटायरमेंट के बाद भी अधिकारी या कर्मचारी को पेंशन और सैलरी दोनो मिलती रहती हैं। ऐसे में सरकारी विभागों में काम के प्रति उत्साह की कमी बनी रहती हैं जिससे काम लेट लतीफी भी देखने को मिलती है।
प्रदेश सरकार ने सचिवालय के रिटायर हो चुके अधिकारी, कर्मचारी चतुर्थ श्रेणी को पुनः रोजगार देने के लिए नियम तो बना दिए लेकिन पहली केबिनेट में पांच लाख बेरोजगारों को रोजगार देने का वायदा पांच सालों में भी संभव नही लग रहा है।
ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि सरकार रिटायर और टायर्ड लोगों को रोजगार देने में क्यों दिलचस्पी दिखा रही है? ऐसे में यह लोग तो पेंशन के साथ सैलरी का लाभ ले रहे हैं लेकिन बेरोजगार युवा जिन की तरफ पूरा परिवार उम्र के इस पढ़ाव में उम्मीद भरी नजरो से देख रहा होता है उसे सड़कों पर उतरकर पेंडिंग भर्तियों के रिजल्ट निकालने के लिए धरने देने पड़ रहे हैं। सचिवालय में ही 18 से 20 रिटायरियों को पुनः रोजगार दे दिया गया है। जिनमें अवर सचिव से ऊपर और अनुभाग अधिकारी, वरिष्ठ निजी सचिव की पुनः नियुक्ति शामिल हैं। ऐसे में आर्थिक बदहाली का रोना रो रही प्रदेश सरकार पर आर्थिक बोझ तो बढ़ ही रहा है लेकिन साथ में बेरोजगारी भी बढ़ रही हैं।
सचिवालय के ही लोग बताते हैं कि ये वहीं लोग हैं जो नौकरी पर रहते हुए नेताओं अफसरों की गणेश परिक्रमा करते रहे और अब फिर चापलूसी से फिर सचिवालय में जम बैठे हैं।
विडंबना यह भी है कि कई अधिकारी रिटायरमेंट के 6 से 7 साल बाद फिर से दोबारा सचिवालय में ओएसडी के पद पर बैठ गए हैं। सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में 31 जुलाई को रिटायर हो रही एक अधिकारी को सेवा विस्तार देने की तैयारी है। जिससे पदोन्नती की राह देख रहे अधिकारियों का रास्ता रुक जाएगा। प्रदेश में दूसरे विभागों में भी रिटायर और टायर्ड को नियुक्ति देने का यही सिलसिला बदस्तूर जारी है जिसे समय के साथ बदलने की जरूरत है।
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