शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव आखिरी दौर में है, मगर इस चुनाव में स्टार प्रचारकों ने पूरी तरह से दूरी बनाए रखी है। न तो भाजपा की ओर से कोई बड़ा स्टार प्रचारक यहां आया और न ही कांग्रेस की तरफ से। हालांकि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी शिमला जरूर आई थीं और माना जा रहा था कि वह देहरा में चुनाव प्रचार करेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब चुनाव प्रचार आखिरी दौर में है और किसी बड़े नेता के आने की कोई सूचना नहीं है।

ऐसे में साफ है कि इस बार तीन सीटों पर हुए उपचुनाव का पूरा दारोमदार हिमाचल के नेताओं पर ही रहा है। जीत और हार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही होगी। एक तरफ भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व भाजपा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल पर इन चुनावों का जिम्मा रहा, तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्रिहोत्री और प्रतिभा सिंह की जिम्मेदारी रही।

हालांकि प्रदेश के सभी नेता दोनों दलों के मैदान में डटे रहे हैं और उन्होंने माहौल अपने-अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिशें की हैं, मगर जिस तरह से स्टार वार पिछले उपचुनाव में हुआ, जहां छह सीटों पर चुनाव था, वैसा इन तीन सीटों पर नहीं हो सका। लगभग एक महीने से तीन सीटों देहरा, हमीरपुर व नालागढ़ में चुनाव प्रचार चला, जो अब थमने को है, क्योंकि 10 जुलाई को इन सीटों पर मतदाता वोटिंग करेंगे। इन सीटों पर चुनाव प्रचार पूरी तरह से स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रहा। इससे पहले जो छह सीटों पर चुनाव हुए, वहां दोनों ही दलों के राष्ट्रीय नेताओं ने अपनी जनसभाएं की थीं और पूरा माहौल बनाया। इसमें सरकार को चार सीटों पर जीत मिली, जबकि भाजपा दो ही सीटों तक सीमित रही। कुल मिलाकर कांग्रेस व भाजपा के प्रदेश के नेताओं के कंधों पर जीत व हार का सेहरा बंधेगा। इन नेताओं ने भी अपना पूरा दमखम लगाया है।

इन नेताओं को आना था, पर नहीं पहुंचे

दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग को अपने स्टार प्रचारकों की सूची दी थी और नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जगत प्रकाश नड्डा, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी जैसे नेताओं के नाम उसमें शामिल किए थे, मगर इनमें से कोई नेता यहां पर नहीं आया।

देहरा में मुख्यमंत्री सुक्खू की धर्मपत्नी चुनाव मैदान में हैं, लिहाजा यह जरूर माना गया कि उन्होंने देहरा पर काफी ज्यादा फोकस किया है। दूसरी तरफ भाजपा के आला नेताओं ने भी बड़ा जोखिम उठाया है, क्योंकि चुनाव प्रचार के आखिरी दौर तक भी भाजपा अपने बड़े नाराज नेताओं को मनाने में नाकाम रही है। अभी भी धवाला सरीखे नेताओं को पूरी तरह से भाजपा नहीं मना पाई है। कांग्रेस में सीएम ने ही तीनों प्रत्याशी उतारे हैं, जिसमें सिर्फ उन्हीं की चली।

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