राज्यपाल बोले कृषि विवि पालमपुर, शिमला विवि में कुलपति की नियुक्ति न होने में राजभवन का दोष नहीं

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शिमला, सुरेन्द्र राणा: राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल ने कहा है कि कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और शिमला विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति नहीं होने में राजभवन का कोई दोष नहीं है। गुरुवार को राजभवन शिमला में प्रेस वार्ता करते राज्यपाल ने कहा कि नियम के विरुद्ध मैं कोई काम नहीं करूंगा। जब तक हूं, राज्यपाल पद की गरिमा को बनाए रखूंगा। कृषि विवि के कुलपति मामले में मंत्री चंद्रकुमार की राजभवन पर की गई बयानबाजी पर राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल ने प्रेस वार्ता कर अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2023 अभी सरकार के ही पास है।

सरकार से वापस आने पर इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि विवि में कुलपति नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है। राजभवन ने स्टे हटाने की याचिका दायर की है। पुराने नियमों के तहत कुलपति को चुनने के लिए कमेटी गठित कर दी गई है, कोर्ट का स्टे जल्द हट जाता है तो कुलपति की नियुक्ति भी तत्काल कर दी जाएगी। राज्यपाल ने कहा कि सरकार ने प्रस्ताव भेजा है कि कृषि विवि में सरकार की सहमति के आधार पर कुलपति नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि कई राज्यों में ऐसा नहीं होता है कि जो सरकार चाहे वैसा ही हो। ऐसे में पत्रावली को राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। राजभवन की ओर से इस प्रस्ताव पर कुछ आपत्तियां लगाकर फाइल सरकार को भेजी गई है। सरकार की ओर से अभी तक जवाब नहीं आया है। राज्यपाल ने कहा कि मंत्री चंद्रकुमार प्रेस में बार-बार कह रहे हैं कि कृषि विवि के कुलपति की नियुक्ति राजभवन की देरी के चलते नहीं हो रही है।
राज्यपाल ने कहा कि चौधरी श्रवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में नियमित कुलपति की नियुक्ति को लेकर मंत्री चंद्र कुमार की मंशा ठीक है लेकिन, राजभवन ने इस बाबत कोई देरी नहीं की है। इस बारे में कृषि मंत्री चंद्र कुमार और मंत्री अनिरुद्ध सिंह राजभवन भी आए थे, उन्हें बताया गया कि पत्रावली सरकार के पास है लेकिन, कृषि मंत्री एक ही बात को बार-बार कह रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि राजभवन पर दोषारोपण होने के चलते ही उन्हें आज अपनी स्थिति स्पष्ट करने की आवश्यकता पड़ी है।
राज्यपाल ने कहा कि शिमला विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति एक साल से अधिक समय से नहीं हो रही है। सरकार के प्रतिनिधि मुख्य सचिव को एचपीयू के कुलपति को चुनने के लिए गठित कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है लेकिन कमेटी अभी तक नाम तय नहीं कर सकी है। इस बारे में मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा गया है। राज्यपाल ने कहा कि मैं कुलाधिपति भी हूं। जितनी चिंता मंत्री चंद्रकुमार को है, उससे अधिक चिंता मुझे भी है। राजनीतिक स्थिति में विधेयक को स्वीकार करने या अस्वीकार करने की मंशा नहीं रखते हैं। विश्वविद्यालय के हित में स्वीकार या अस्वीकार की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को बिल भेजने की स्थिति पहली बार आई है।
प्रदेश में बहुत अधिक नहीं बिगड़ी कानून व्यवस्था पर सरकार रहे सतर्क : शुक्ल

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में कानून व्यवस्था बहुत अधिक नहीं बिगड़ी है। हिमाचल देवभूमि है, इस नाते कुछ भी हो, वह दिखता है। कहा कि कानून व्यवस्था लचर न हो, इसके लिए सरकार को सतर्क रहना चाहिए। गुरुवार को राजभवन शिमला में मीडिया से बातचीत में राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को लेकर टिप्पणी करने से गुरेज करते हुए कहा कि स्पीकर का पद सांविधानिक है। मैं इस संदर्भ में कुछ नहीं कह सकता। राज्यपाल ने कहा कि लोकतंत्र प्रहरी बिल अभी राजभवन में है। बिल को लेकर कुछ आपत्तियां थीं, जिसका जवाब सरकार ने भेज दिया है। लोकतंत्र प्रहरी को लेकर बीते दिनों हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से आए फैसले को सरकार को लागू करना चाहिए।

बता दें कि जयराम सरकार के समय हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान विधेयक 2021 पारित किया गया था। पूर्व भाजपा सरकार ने आपातकाल के समय जेल में रहने वाले नेताओं की अलग-अलग दो श्रेणियों को 20 हजार रुपये और 12 हजार रुपये प्रति माह सम्मान राशि देने का प्रावधान किया। सरकार बदलने पर बजट सत्र में लोकतंत्र प्रहरी सम्मान निरसन विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव सदन में रखा गया। भाजपा के हंगामे और वाकआउट के बीच इसे पारित किया गया। फिर विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया। बीते एक साल के दौरान यह प्रस्ताव सरकार और राजभवन के बीच घूमा। अब सरकार की ओर से दोबारा भेजा गया प्रस्ताव राजभवन में लंबित हैं।

योग दिवस किसी एक दल का नहीं होता
एक अन्य सवाल के जवाब में राज्यपाल ने कहा कि योग दिवस किसी एक दल का नहीं है। आयुष विभाग ने शिमला के रिज मैदान पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया, लेकिन इसमें सरकार की ओर से भागीदारी दर्ज नहीं करवाई गई। ऐसा नहीं होना चाहिए था। प्रदेश में लगातार जारी विधानसभा उपचुनावों को लेकर भी राज्यपाल ने टिप्पणी करने से परहेज किया।
नौतोड़ देने के पक्ष में, सरकार से मांगी हैं कुछ जानकारियां
 राज्यपाल ने कहा कि मैं जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को नौतोड़ भूमि उपलब्ध करवाने के पक्ष में हूं। वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) को लेकर राज्य सरकार से कुछ जानकारियां मांगी गई हैं। पूछा गया है कि इसके तहत कितने आवेदक हैं। जानकारी मिलने के बाद इस बाबत फैसला ले लिया जाएगा। बता दें कि हिमाचल प्रदेश नौतोड़ भूमि नियम 1968 में 20 बीघा से कम भूमि वाले पात्र लाभार्थियों को 20 बीघा सरकारी भूमि प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत जनजातीय लोगों को लाभान्वित किया गया है।

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