शिमला, सुरेंद्र राणा: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा भारत के इतिहास में इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी इतिहास का सबसे बड़ा कला अध्याय रहा जिसको जनता आज तक भुला नहीं पाई है। संविधान के भक्षक आज रक्षक बनने का ढोंग कर रहे है।

उन्होंने कहा की कांग्रेस की सत्ता की लालसा 1975 से लेकर अब तक साफ दिखाई देती है। कांग्रेस पार्टी का सत्ता बरकरार रखने के लिए असंवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल करने का इतिहास रहा है, जैसा कि 1975 के आपातकाल के दौरान देखा गया था। कांग्रेस और उसके सहयोगियों की रणनीति आज भी हमारे लोकतंत्र के लिए उतना ही ख़तरा है जितना 1975 में था। उन्होंने कहा की आपातकाल और लोकतंत्र की हत्या जून 25, 1975 – मार्च 21, 1977 तक की गई थी। आपातकाल – अत्याचार के 21 महीने : 1971 के चुनावों में इंदिरा गांधी का चुनाव भ्रष्ट चुनाव प्रथाओं के आधार पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था। सत्ता बरकरार रखने के लिए, इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आधी रात में मंत्रिपरिषद को सूचित किए बिना राष्ट्रपति को आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया। इंदिरा ने मंत्रिपरिषद को 26 जून की सुबह ही सूचित किया गया। इस दौरान अटल बिहारी वाजपेई, राजनाथ सिंह, जेपी नारायण जैसे विपक्षी नेताओं को तुरंत जेल में डाल दिया गया। कुल मिलाकर 1.4 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया और हिरासत में 22 मौतें हुईं। यह है कांग्रेस का असली चेहरा।

कांग्रेस पार्टी ने प्रेस सेंसरशिप और मीडिया उत्पीड़न भी जमकर किया, अगली सुबह समाचार पत्रों के प्रकाशन को रोकने के लिए दिल्ली के कुछ हिस्सों में 25 जून को सुबह 2 बजे बिजली काट दी गई। समाचार पत्रों को इंदिरा गांधी के चुनाव मामले में संसदीय कार्यवाही और सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को कवर करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।

उन्होंने कहा की कांग्रेस पार्टी ने हमारे संविधान और विधानों पर आपातकाल का प्रभाव काफी नकारात्मक रहा। कानूनों में संशोधन कांग्रेस द्वारा किया गया जिसके अंतर्गत हिरासत मामलों में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को लागू करने से अदालतों को रोकने के लिए मीसा में संशोधन किया गया। संसदीय कार्यवाही (प्रकाशन का संरक्षण) अधिनियम और प्रेस परिषद अधिनियम को निरस्त कर दिया गया। मीडिया को सरकार के खिलाफ लिखने से रोकने के लिए आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशन रोकथाम अधिनियम बनाया गया।

कांग्रेस द्वारा संविधान से खिलवाड़ किया गया जिसमें 38वां संवैधानिक संशोधन आपातकाल की घोषणाओं, राष्ट्रपति/राज्यपालों द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कानूनों की न्यायिक समीक्षा पर रोक लगा दी गई। 39वां संवैधानिक संशोधन : सर्वोच्च न्यालय को पीएम, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के खिलाफ चुनाव याचिकाओं पर सुनवाई से रोक दिया गया। इस संशोधन ने इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व की रक्षा की। सर्वोच्च न्यालय द्वारा आईजी के चुनाव मामले की सुनवाई शुरू करने से ठीक पहले, 4 दिनों के भीतर पारित किया गया।

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