Sunday, June 30, 2024
Homeहिमाचलजेएसडब्ल्यू के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

जेएसडब्ल्यू के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

शिमला: किन्नौर जिला में स्थित निजी क्षेत्र के कड़छम वांगतू प्रोजेक्ट में समझौते के अनुसार फ्री बिजली रॉयल्टी नहीं मिलने के मामले में हिमाचल सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी। यह परियोजना जेएसडब्ल्यू कंपनी की है, जिसे प्रदेश उच्च न्यायालय ने राहत प्रदान की है, मगर इसमें सरकार को कोई राहत नहीं मिली है। ऐसे में अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने की सोची है, जिसके लिए ऊर्जा विभाग फिलहाल कानून विभाग से राय ले रहा है। वैसे ऊर्जा विभाग ने कानून विभाग को भी अपनी ओर से यही कहा है कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जाना चाहिए, क्योंकि उच्च न्यायालय से उसके खिलाफ फैसला आया है। हाल ही में यह मामला हाई कोर्ट से निपटा है, जिसके बाद से यह सुर्खियों में है, क्योंकि इससे सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। वर्तमान सरकार ने पावर पालिसी में कुछ नीतिगत बदलाव पिछले दिनों में किए हैं, उनको सही तरह से लागू करने में मुश्किलें तो पेश आ ही रही हैं, वहीं पुराने प्रोजेक्ट जो यहां लगे हैं, उनके साथ हुए समझौते भी इससे प्रभावित होने की संभावना है। जेएसडब्ल्यू कंपनी के कड़छम वांगतू प्रोजेक्ट की क्षमता 1045 मेगावाट की है और वर्ष 2011 से यह परियोजना उत्पादन में आ चुकी है।

वर्ष 1999 में सरकार ने इस परियोजना को लेकर समझौता किया था। उस समझौते में साफ था कि उत्पादन के बाद पहले 12 साल तक कंपनी सरकार को 12 फीसदी मुफ्त बिजली रॉयल्टी देगी। इसके बाद 13वें साल से 40 साल की अवधि तक यानी 28 साल में कंपनी द्वारा सरकार को 18 फीसदी मुफ्त बिजली रॉयल्टी देनी होगी। इस कंपनी से बिजली हिमाचल को नहीं बेची जाती, बल्कि पंजाब, हरियाणा या उत्तर प्रदेश आदि राज्यों को जाती है, तो इस बिजली का टैरिफ भी हिमाचल विद्युत नियामक आयोग नहीं, बल्कि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन तय करता है। बताया जाता है कि केंद्रीय नियामक आयोग ने कंपनी की बिजली की दरें पहले 88 फीसदी पर और फिर 82 फीसदी बिजली उत्पादन पर रेट डिसाइड किया। ऐसे में कंपनी को इससे नुकसान हुआ और कंपनी ने हिमाचल सरकार को 13वें साल के बाद 18 फीसदी मुफ्त बिजली रॉयल्टी देने से इनकार कर दिया। हालांकि कंपनी 12 फीसदी मुफ्त बिजली जरूर दे रही है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने वर्ष 1999 में हुए एग्रीमेंट का हवाला दिया और सरकार का कहना है कि उसके साथ जो समझौता हुआ, उसमें कहीं भी टैरिफ पर रॉयल्टी दर्ज नहीं है। ऐसे में सरकार ने भी हाई कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा है। मगर अदालत ने इस मामले में कंपनी को राहत दी है और सरकार को इसमें झटका लगा है। ऐसे में अब सरकार के पास एकमात्र विकल्प सुप्रीम कोर्ट जाने का रह गया है, जिसकी तैयारी की जा रही है। ऊर्जा विभाग ने इस पूरे मामले को कानून विभाग से उठाया है और कानून विभाग की हामी का इंतजार किया जा रहा है।

गौरतलब है कि बिजली परियोजनाओं से जुड़े कई मामलों में सरकार को झटके पर झटका लग रहा है। इससे पहले बिजली परियोजनाओं से वाटर सेस की वसूली के मामले में भी सरकार को झटका लग चुका है। इसमें भी सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रही है। इसके अलावा शानन बिजली घर पंजाब से लेने के मामले में भी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा है। बिजली क्षेत्र के ऐसे कई मामले हो चुके हैं, जिनमें सरकार की परेशानी बढ़ती जा रही है। यहां पर सतलुज जल विद्युत निगम के साथ भी आर-पार की लड़ाई चल रही है। उनके प्रोजेक्टों को लेकर भी अभी तक स्थिति क्लीयर नहीं हो पाई है।

बदली है बिजली पॉलिसी

वर्तमान सरकार ने बिजली पॉलिसी में बदलाव किया है। अब सरकार भविष्य में बिजली परियोजनाओं से मुफ्त बिजली रॉयल्टी को बढ़ा चुकी है। इसके लिए 12 दिसंबर, 2023 को नई पॉलिसी आई है, जिसमें परियोजनाओं से पहले 12 साल में 20 फीसदी, अगले 18 साल में 30 फीसदी व आखिरी 10 साल में 40 फीसदी मुफ्त बिजली रॉयल्टी लेने का प्रावधान किया गया है। हालांकि अभी तक नए बिजली प्रोजेक्टों के प्रस्ताव सरकार के पास नहीं हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Our Visitor

128195
Views Today : 787
Total views : 442363

ब्रेकिंग न्यूज़