इन शर्तों को मानते हुए प्रार्थी ने 13.69 करोड़ की बोली लगाई और सोलन क्षेत्र के लिए उसे सफल बोलीदाता घोषित किया गया। इसके बाद 27 मार्च, 2023 को एक कार्यवाही अचानक जारी करते हुए न्यूनतम गारंटी कोटे को एकतरफा बढ़ा दिया गया। प्रार्थी ने इसे आबकारी नीति के खिलाफ बताते हुए याचिका दायर की है। सरकार का यह भी कहना था कि प्रार्थी को 26 अप्रैल, 2023 को लाइसेंस जारी किया था इसलिए वह बढ़ा हुआ न्यूनतम कोटा उठाने के लिए बाध्य है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने आबकारी नीति का अवलोकन करने पर पाया कि विभाग एकतरफा आदेश जारी कर न्यूनतम कोटा नहीं बढ़ा सकती। कोर्ट ने प्रार्थी को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि शराब की जिस न्यूनतम मात्रा के लिए प्रार्थी ने बोली में भाग लेकर सफलता पाई, उसकी शर्तों के विपरीत अब सरकार न्यूनतम कोटे की मात्रा एकतरफा नहीं बढ़ा सकती। कोर्ट ने सरकार के इस फैसले को मनमाना पाया और प्रार्थी से न्यूनतम कोटे से अधिक शराब उठाने की मांग करने पर रोक लगा दी। मामले पर सुनवाई 23 जुलाई को निर्धारित की गई है।