पंजाब, सुरेंद्र राणा:बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में पंजाब से भी बहुत उम्मीदें पाल रखी हैं। हालांकि पंजाब में बीजेपी का अब तक सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन तीन लोकसभा सीट जीतने का ही रहा है। 1998 और 2004 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी तीन-तीन सीटें जीतने में सफल हुई थी, तब उसने ये चुनाव अकाली दल के साथ गठबंधन में रहते हुए लड़े थे। पर इस बार पंजाब की कुल 14 सीटों पर बीजेपी पहली बार चुनाव लड़ रही है और अधिक की उम्मीद कर रही है। पंजाब की राजनीति में इस बार कोई गठबंधन नहीं है। सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी राजनीति अकेले ही कर रहे हैं। दशकों के साथी अकाली दल और बीजेपी का साथ इस बार नहीं है। यही हाल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का भी है। दिल्ली में एक साथ चुनाव लड़ रहीं ये दोनों पार्टियां पंजाब में एक दूसरे की विरोधी हैं। इस तरह राज्य में लोकसभा सीटों के लिए मुकाबला चार दलों के बीच हो रहा है। बीजेपी के लिए इस बार कई तरह के मौके बन रहे हैं, तो दुष्वारियां भी कम नहीं हैं।
पंजाब में जब बीजेपी और अकाली दल का गठबंधन था, तो अकाली दल ग्रामीण क्षेत्रों में वोट हासिल करता था, जबकि बीजेपी को शहरी इलाकों से वोट मिलते थे। पंजाब में 1996 से लेकर 2019 तक अकाली दल और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़ते रहे। 2007 से 2017 तक इन दोनों दलों ने पंजाब में मिलकर सरकार भी चलाई। एनडीए के कोटे से अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल भारत सरकार में मंत्री भी थीं लेकिन 2020 में कृषि कानूनों के खिलाफ जब पंजाब में आंदोलन शुरू हुआ तो अकाली दल ने एनडीए से नाता तोड़ लिया और पंजाब में बीजेपी अकेले रह गई।
गिरता गया वोट शेयर
अगर वोट शेयर भी देखें, तो पंजाब में बीजेपी को 1991 के लोकसभा चुनाव में 16.51 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन उसके बाद से वह कभी भी इस ग्राफ को नहीं छू सकी। 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे 9.63 फीसदी वोटों से संतोष करना पड़ा था। अमित शाह >सहित बीजेपी नेतृत्व के पूरी ताकत झोंकने के बाद भी बीजेपी 2014 और 2019 में अपने पुराने तीन सीटों के आंकड़े से आगे नहीं बढ़ सकी।
सिखों से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश
पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने सिख समुदाय की अधिकता वाले इस राज्य में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री मोदी लगातार सिखिज्म के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन करते रहते हैं। मोदी कई मौकों पर गुरुद्वारों में गए हैं। कुछ दिन पहले ही वह पटना साहिब गुरुद्वारे में गए थे और वहां लंगर बांटा था। ऐसा करके पार्टी सिखों के बीच यह संदेश देना चाहती है कि बीजेपी उनसे दूर नहीं है।
हिंदू वोटरों का समर्थन मिलने की उम्मीद
पंजाब में 39 प्रतिशत हिंदू आबादी है और बीजेपी को उम्मीद है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति, सर्जिकल स्ट्राइक सहित राष्ट्रवाद के अन्य मुद्दों से उसे हिंदू आबादी का कुछ हद तक समर्थन मिल सकता है। बीजेपी को यह भी उम्मीद है कि अगर पंजाब में हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण होता है तो पार्टी को इसका फायदा हो सकता है।
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