दिल्ली: लोकसभा के पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर औसतन करीब 63 फीसदी वोटिंग हुई है। सीटों के हिसाब से यह सबसे बड़ा फेज है। सबसे ज्यादा 79.90 प्रतिशत वोट त्रिपुरा में डाले गए, जबकि बिहार में सबसे कम 47.49 प्रतिशत वोटिंग हुई। पश्चिम बंगाल में हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बीच 77.57 फीसदी वोटिंग हुई, जबकि मणिपुर में भी पहले चरण के वोटिंग के दौरान हिंसा के समाचार हैं।
पश्चिम बंगाल में कूचबिहार सीट पर हिंसा के कारण मतदान प्रभावित हुआ। तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के सूत्रों ने बताया कि दोनों दलों के कार्यकर्ताओं ने मतदान के पहले कुछ घंटों में चुनावी हिंसा, मतदाताओं को धमकाने और चुनाव एजेंटों पर हमलों संबंधी क्रमश: 80 तथा 39 शिकायतें दर्ज कराई हैं। हिंसा प्रभावित मणिपुर में करीब 68.62 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
इनर मणिपुर लोकसभा सीट के तहत आने वाले थोंगजु विधानसभा क्षेत्र में स्थानीयों और अज्ञात व्यक्तियों के बीच वाद-विवाद हो गया। छत्तीसगढ़ में एक ग्रेनेड लांचर के गोले में दुर्घटनावश विस्फोट होने से सीआरपीएफ के एक जवान की मौत हो गई। उधर, पूर्वी नागालैंड के छह जिलों में सन्नाटा पसरा रहा, जहां अलग राज्य की मांग को लेकर आदिवासी संगठनों के एक संघ द्वारा अनिश्चितकालीन बंद के आह्वान के कारण लोग घरों में ही रहे।
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में नक्सल प्रभावित बस्तर लोकसभा सीट पर 63.41 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इसी बीच, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और असम में कुछ बूथ पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में मामूली खामियों की शिकायत आई। गौरतलब है कि 2019 में इन 102 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने 40, डीएमके ने 24, कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं। अन्य को 23 सीटें मिली थीं। इस फेज में अधिकतर सीटों पर मुकाबला इन्हीं तीन दलों के बीच है।
पहले फेज में 1,625 कैंडिडेट्स चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें 1,491 पुरुष, 134 महिला कैंडिडेट हैं। पहले चरण में आठ केंद्रीय मंत्रियों, एक पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व राज्यपाल की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है। इस फेज के बाद 26 अप्रैल को दूसरे फेज की वोटिंग होगी। कुल सात फेज में 543 सीटों पर पहली जून को मतदान खत्म होगा। सभी सीटों के रिजल्ट चार जून को आएंगे।
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