कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी हिजाब में फ़ोटो खिंचवाने जैसे। पहले विधानसभा छोड़ें फिर लोकसभा लड़े।

सोलन: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विवेक शर्मा ने कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद कहा हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशियों का चयन हिजाब मे फोटो खिंचाने जैसा प्रतीत हो रहा है।

मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्षा व पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह सरकार की विफलताओं व कार्यकर्ताओं के टूटे हुए उत्साह का व्याख्यान और भाजपा के संगठन की चर्चा मीडिया में कर चुकी है और वह कह भी चुकी हैं कि कांग्रेस का कार्यकर्ता अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा है ।जबकि उनके सुपुत्र उसी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। वह सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजगी दर्ज करते हुए मंत्रिमंडल से त्यागपत्र भी दे चुके हैं व अब विक्रमादित्य मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी है।आखिर कांग्रेस में कौन किसको निपटा रहा है यह राजनीतिक विद्यार्थियों के लिए शोध का विषय हो गया है।

उधर शिमला लोकसभा प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी जो आपदा के समय हवाई यात्रा में मुख्यमंत्री के साथ सेल्फियां लेते अपने विधानसभा के ऊपर से उड़ रहे थे उन्हें 15 महीने में दोबारा धरती पर उतरकर जनता का सामना करना होगा। ऐसी अपेक्षा उन्होंने भी नहीं की थी। शिमला लोकसभा क्षेत्र में 350 से अधिक संस्थान प्रदेश सरकार ने बंद किए हैं। जिन में स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र ,उप तहसील व पटवार सर्कल आते हैं जिसका जवाब प्रत्याशियों को देव भूमि डोडराकवार से गुरु भूमि पौटा साहिब तक देना होगा। उधर मित्रों की सरकार में सुपर चीफ मिनिस्टर अपने प्रतिद्वंद्वियों को निपटाने में कुछ दिनों से प्रयासरत थे जिनके कारनामों को लेकर उद्योग मंत्री को कबाड़ के संबंधित मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की नौबत आ गई थी वह बाद में उसे सार्वजनिक भी करना पड़ा । उनके राजनैतिक भविष्य का फैसला न्यायालय में विचाराधीन है । मित्रों के मुखिया को अगर अपने प्रत्याशियों को लेकर जीत का विश्वास है तो उन्हें विधानसभा से त्यागपत्र दिलाएं ,मंत्री पदों से हटाए ताकि प्रदेश की जनता में व्यवस्था परिवर्तन के प्रति विश्वास उत्पन हो ।अन्यथा यह भी झूठी गारंटी की तरह साबित होगा।

पांच मंत्री वाले व तीन cps वाली शिमला लोकसभा सीट कॉग्रेस की हार तय मानी जाऐ क्योंकि कांग्रेस का सेध मारी प्रयास विफल हो गया है। राज्यसभा में हमारा साथ जिन्होंने दिया हमने उन्हें टिकटें तो दी जिनको इनके मंत्री टिकट का आश्वासन देकर साथ घूमा रहे थे उन्हें अधर में छोड़कर चले गए। ना खुदा मिला ना विसाले सनम, ना इधर के रहे ना उधर रहे ,बस रहा दिल में यह रंजओआलम ना, ईधर के हुए न उधर के हुए।बस शिकार हुए उस व्यवस्था परिवर्तन का जो ना इधर की हुई ना उधर की हुई।

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