शिमला, सुरेंद्र राणा: मानसिक तनाव वर्तमान में युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक इस कदर हावी हो रहा है कि हिमाचल का हर चौथा व्यक्ति इसका शिकार है। आईसीएमआर यानी इंडियन काउंसिल मेडिकल रिसर्च की इस साल की जारी की गई रिपोर्ट के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। अन्य राज्यों के साथ हिमाचल में भी 23.9 व्यक्ति मैंटल हैल्थ से जूझ रहे हैं। खासकर युवा और बुजुर्ग इस कारण बेहद परेशान है और मनोवैज्ञानिक का काउंसिलिंग का सहारा ले हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इसके लिए उम्र के हर पड़ाव में स्ट्रैस भी अलग स्तर का है। पहले अधिकतर ये देखने में आता था कि युवाओं की मानसिक परेशानी का एक कारण केवल बढ़ता पढ़ाई का बोझ है लेकिन साइकेट्रिक ये बताते हैं कि वर्ततान समय में सबसे ज्यादा चिंता का विषय है कि युवा ऑनलाइन गेमिंग का शिकार होते जा रहे हैं।
कम उम्र में बड़ा मुकाम हासिल करने की जिद युवाओं को इस तनाव की ओर खींच रही है। यही कारण है कि आज का युवा अस्पतालों के चक्कर काटता नजर आ रहा है। वहीं बुजुर्गों की बात की जाए तो उनमें सबसे ज्यादा मानसिक तनाव का कारण अकेलापन है। शहरीकरण के चलते अधिकतर लोग शहर से गांव का रुख कर चुके हैं और इस कारण उम्रदराज लोग गांव में अकेलेपन के चलते मानसिक तनाव में घिरते जा रहे हैं। आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में हांलाकि अन्य राज्यों के मुकाबले ये आंकड़ें कम है लेकिन आने वाले समय में मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्तियों की संख्या में और इजाफा होगा।
सबसे ज्यादा उत्तराखंड राज्य में 38.6 फीसदी लोग इस तनाव का शिकार है वहीं सिक्किम में 31.9 लोग इस बीमारी से ग्रसित है। हिमाचल में हालांकि इसके लिए हैल्थ सर्विस सेंटर चल रहे हैं। इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों में जागरुकता अभियान भी चलाए जाते हैं लेकिन उसके बाद भी समय रहते इन मामलों पर रोक लगाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की जरूरत है। एचडीएम
तनाव के कारण
हमारी जिंदगी में कभी-कभी कोई ऐसी घटना हो जाती है जिससे हमारी जिंदगी प्रभावित होती है। ये सब तनाव के कारण बन जाते हैं। व्यक्ति इनसे से बाहर नहीं निकल पाता और तनाव का शिकार बन जाता है। दूसरा अकेलापन इनसान का अकेले रहना कई बार तनाव का कारण बन जाता है। अगर कोई व्यक्ति अकेला है और उसका कोई दोस्त नहीं है तो वह तनाव का शिकार हो सकता है। किसी भी व्यक्ति को अगर लगातार शारीरिक बीमारी है तो वह तनाव का मरीज हो सकता है। यदि किसी को दिल की बीमारी, कैंसर या इस तरह की कोई बीमारी है तो इनसान अपनी बीमारी से परेशान होकर तनाव का शिकार बन जाता है। डिप्रेशन (तनाव) कभी भी किसी को भी हो सकता है परंतु कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनको तनाव जल्दी होने का खतरा होता है। यह उनकी जिंदगी पर निर्भर करता है कि उनकी पुरानी जिंदगी कैसे गुजरी है।
सोशल मीडिया और नशे का ज्यादा प्रभाव
टांडा मेडिकल कालेज साइकेट्री विभाग के डा. सुखजीत सिंह बताते हैं कि आज के समय में मेंटल हैल्थ का सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन और सोशल मीडिया से कनेक्टिविटी है। उनका कहना है कि सबसे ज्यादा युवा इस वजह से मेंटल हेल्थ का शिकार हो रहे हैं क्योंकि उन्हें सोसाइटी सही तरीके से गाइड नहीं करती। दूसरा डिप्रेशन और तीसरा नशे की तरफ जाना सबसे ज्यादा मेंटल हैल्थ का कारण है। इसके लिए यह जरूरी है कि सोशल मीडिया से कनेक्ट होने के बजाय आपस में लोग एक दूसरे से बातचीत करें। बॉडी लैंग्वेज और फेस एक्सप्रेशन का इस पर प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही यह सबसे जरूरी है कि काउंसिलिंग और ट्रीटमेंट के बाद उसका फॉलो अप लिया जाए जो कि ज्यादातर लोग नहीं करते। आपकी अंतरात्मा जो कहती है, वही की तो काफी हद तक मेंटल तनाव से बचा जा सकता है।
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