पंजाब में लोकसभा चुनाव रणनीति: शिअद की सख्त शर्तों के बाद भाजपा से समझौता वार्ता रुकी

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पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: शिरोमणि अकाली दल की कोर कमेटी में पारित प्रस्ताव से पंजाब में अकाली दल भाजपा गठबंधन पर प्रश्नचिह्न लग गया है। भाजपा नेता अब पंजाब को लेकर नई रणनीति तैयार करने में लग गए हैं।

भाजपा को अकाली दल की कोर कमेटी के पारित प्रस्ताव में कई मुद्दों पर सख्त आपत्ति है, जिनको वह किसी कीमत पर मान नहीं सकती। कारण यह है कि कई मुद्दे राष्ट्रवाद से जुड़े हुए हैं। मसलन, एनएसए को खत्म करने, फिरोजपुर व अटारी बाॅर्डर को खोलने जैसे मुद्दों पर भाजपा कभी अकाली दल से सुर नहीं मिला सकती है। यह दोनों मुद्दे राष्ट्रवाद से जुड़े हुए हैं और राष्ट्रवाद भाजपा का मुख्य एजेंडा है।

भाजपा इन तमाम अटकलों के बीच अब अपनी 13 सीटों को लेकर मंथन पर जुट गई है। भाजपा की तरफ से अकाली दल से अलग होने के बाद पंजाब में अपने पैर पूरी तरह से पसारने के लिए पहले से कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।

भाजपा अकाली दल के उन इलाकों में अपना मजबूत संगठन खड़ा कर चुकी है, जहां से अकाली दल के नेता लोकसभा चुनाव लड़ते रहे हैं। जालंधर हो या लुधियाना, पटियाला हो या फिरोजपुर, भाजपा ने अपने संगठन को खासा मजबूत कर रखा है।

भाजपा के पंजाब के सहप्रभारी डॉ. नरिंदर रैना का कहना है कि भाजपा में पीएम नरेंद्र मोदी के लिए वोट डलेगी। भाजपा का मुद्दा राष्ट्रवाद है और इस पर पार्टी कभी समझौता नहीं कर सकती। यही वजह है कि भाजपा सरकार ने धारा 370 को जेएंडके में तोड़ा। एक देश एक राष्ट्र की बुलंद आवाज लेकर भाजपा पंजाब में 13 सीटों के लिए तैयार है।

भाजपा अपना एजेंडा राष्ट्र स्तर पर तय करती है। वहीं, संसदीय बोर्ड के सदस्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा का कहना है कि भाजपा अपने स्तर पर पंजाब में पहले से मजबूत है। भाजपा का कैडर व वर्कर काफी उत्साहित है। लोग पीएम नरेंद्र मोदी की गारंटी को पसंद कर रहे हैं। पंजाब में भाजपा 13 सीटों के लिए तैयार है, लेकिन अपने मुद्दे व नीतियों से समझौता नहीं करेगी।

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