शिमला,सुरेंद्र राणा: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने औषधि और प्रसाधन सामग्री हिमाचल प्रदेश संशोधन विधेयक 2016 को वापस लेने का प्रस्ताव रखा। सदन की सहमति से इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया। इस विधेयक में प्रावधान किया गया था कि मादक सामग्री पकड़े जाने की सूरत में पहले गुनाह को साबित करने का भार अभियोजन पक्ष पर होता था, मगर अब यह आरोपी को ही साबित करना होगा कि वह दोषी नहीं है। इसे गैर जमानती और संज्ञेय अपराध बनाने की भी संस्तुति की गई।
यह विधेयक पिछली कांग्रेस सरकार के समय राज्य विधानसभा में पेश किया गया था। इसे राष्ट्रपति की सहमति से राज्यपाल के कार्यालय के माध्यम से 4 नवंबर 2016 को प्रेषित किया गया।
भारत सरकार की ओर से 25 अप्रैल 2017 को इस संदर्भ में कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया था, जिसे 19 सितंबर 2017 को केंद्र सरकार को भेजा गया। इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने भी स्थिति स्पष्ट की। 24 जून 2019 को यह मामला केंद्र सरकार को प्रेषित किया गया है। केंद्र सरकार ने 20 जून 2022 को इस बारे में अवगत करवाया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस विधेयक में जो संशोधन प्रस्तावित किए हैं, उनका औषधि एवं प्रसाधन सामग्री संशोधन अधिनियम 2008 में पहले से ही प्रावधान है। राज्य सरकार इस विधेयक को वापस लेने के बारे में विचार करे। राज्य मंत्रिमंडल की 12 जनवरी 2024 की बैठक में इस विधेयक को वापस लेने का निर्णय पहले ही लिया जा चुका है।
आपदा पर केंद्र ने पैसा दिया तो श्वेतपत्र लाया जाए : राठौर
कांग्रेस विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने मंगलवार को बजट पर चर्चा के दौरान कहा कि केंद्र से अगर कुछ बजट आया है तो वह केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत मिला है। केंद्र ने आपदा से निपटने को पर्याप्त पैसा नहीं दिया है। अगर केंद्र पैसा जारी करने की बात करता है तो श्वेतपत्र लाएं। स्थिति साफ हो जाएगी। राठौर ने कहा कि गत वर्ष आई आपदा से हिमाचल प्रदेश एक दशक पीछे चला गया और ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा गया। केंद्र सरकार की ओर से आपदा में हिमाचल को मिली मदद को ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के बजट में हर वर्ग को छुआ है। यूनिवर्सल कार्टन की वर्षों पुरानी मांग को सरकार ने बजट में पूरा किया है।
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