पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: आम लोगों को बड़ी राहत देते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब में किसी भी किस्म की जमीन-जायदाद की रजिस्ट्रेशन के लिए ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ (एनओसी) की शर्त को खत्म करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बताया कि यह फैसला जनहित में लिया गया है। कानूनी प्रक्रिया को पहले ही जांच लिया गया है। इसके बारे में विवरण जल्द ही साझा किया जाएगा।
सीएम मान ने कहा कि यह फैसला आम लोगों से सलाह के बाद लिया गया। इससे लोगों को बड़ा लाभ पहुंचेगा। मौजूदा समय में एनओसी न मिलने की सूरत में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लोग जमीन की खरीद-बिक्री नहीं कर पा रहे हैं। एनओसी की बाध्यता के कारण एनआरआई को सबसे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
पहले एनओसी हटाने का फैसला जा चुका है हाईकोर्ट
पंजाब सरकार ने 2019 में बिना एनओसी सूबे में अवैध कॉलोनियों में सेल डीड की अनुमति संबंधी अधिसूचना जारी की थी। इसे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि अगर ऐसी अनुमति दी गई तो पंजाब अवैध कॉलोनियों से भर जाएगा।
गौरतलब है कि पंजाब में 2014 और 2019 में तत्कालीन सरकारों ने अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लागू की थी। हालांकि इस स्कीम के तहत भी एनओसी की अनिवार्यता समाप्त नहीं की गई थी लेकिन अवैध कालोनियों के लोगों की ओर से सहयोग न देने पर 12 दिसंबर 2019 को रजिस्ट्री के लिए एनओसी की अनिवार्यता खत्म कर दी थी। पंजाब में इस समय 14000 अवैध कॉलोनियां हैं, जिन्हें नियमित करने के उद्देश्य से एनओसी के बगैर रजिस्ट्री करने की प्रक्रिया लागू की गई थी।
अभी यह है रजिस्ट्री की प्रक्रिया
मौजूदा समय में संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए विक्रेता और खरीदार डीड राइटर के पास संपत्ति के कागजात- जमीन का खसरा नंबर, सौदे की शर्तें, गवाहों की जानकारी, संबंधित क्षेत्र का कलेक्टर रेट, जमीन के खरीदार और विक्रेता की जानकारी सहित अन्य बिंदुओं को दर्ज कराते हैं। दस्तावेजों की जांच के बाद प्रॉपर्टी डील के हिसाब से फीस तय होती है। इसके बाद फीस के अनुसार स्टांप पेपर ऑनलाइन खरीदे जाते हैं। फीस जमा करवाने के बाद पटवारखाने में तहसीलदार के पास जाने से पहले नंबरदार सभी दस्तावेजों की तस्दीक करता है।
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