शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल में आखिर ढाई माह बाद सूखे का दौर खत्म हुआ। पूरे प्रदेश में बारिश और बर्फबारी का दौर शुरू हो गया है। इससे सेब, गुठलीदार फलों, गेहूं, सरसों और अन्य फसलों को संजीवनी मिल गई है। सूखे की स्थिति बनने से प्रदेश में गेंहू की फसल 15 से 25 फीसदी तक बर्बाद हो गई है। जो बची है, बारिश से उसमें जान पड़ जाएगी। डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के संयुक्त निदेशक और प्रोफेसर रहे डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया कि मौजूदा समय में जिस तरह से मौसम अनुकूल चल रहा है, यह अच्छा है। लंबे समय से इससे सेब के पौधों की चिलिंग शुरू हो जाएगी। ऊंचाई वाले क्षेत्रों और नदी-नालों वाले इलाकों को छाेड़कर बाकी जगहों पर ठीक से चिलिंग नहीं हो रही थी
अब सेब और अन्य फलदार पौधों के लिए चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएंगे। इससे नमी की कमी भी नहीं होगी। लंबे समय सेब के पौधों का रोपण रुका हुआ था। अब नए पौधारोपण के लिए मदद होगी। मगर बागवान यह ध्यान रखें कि इसके लिए नमी पर्याप्त होनी चाहिए। इससे फल देने वाले तमाम तरह के पौधों की बीमारियां भी कम होंगी। सेब के पेड़ों में वूली एफिड, स्केल सहित कई तरह के रोग लग जाते हैं। इनका निदान होगा।
राज्य कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक रहे डॉ. एचआर शर्मा ने कहा कि रबी सीजन की गेहूं, सरसों, चने आदि फसलों के लिए बारिश अच्छी है। जो फसल उग नहीं पाई थी, वह उग जाएगी। जो उग गई थी, उसमें भी इससे जान आएगी। पिछले काफी समय से सूखे जैसी स्थिति बनी हुई थी।
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