केंद्र ने बढ़ाए खाद के दाम किसान बागवानों पर पड़ा बोझ, किसान कांग्रेस ने किया विरोध

शिमला, सुरेंद्र राणा: राजीव भवन शिमला में हिमाचल प्रदेश किसान कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता कंवर रविन्दर् सिंह ने एक प्रेस वार्ता की।

उन्होंने केंद्र सरकार के द्वारा सिंगल्स सुपर फॉस्फेटखाद पर 62 रुपया बढ़ाएं जाने की कड़ी निंदा की और केंद्र सरकार को घेरा।उन्होंने कहा कि इससे हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों को ज़्यादा पैसा खाद ख़रीदने के लिए चुकाना पड़ेगा। एक तरफ़ तो हिमाचल प्रदेश का किसान बागवान बरसात की वजह से हुई त्रासदी की मार झेल रहा है वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार के द्वारा सिंगल सुपर फास्फेट खाद पर 62 रुपये की वृद्धि किए जाना उसके ऊपर दोहरी मार है। सिंगल सुपर फॉस्फेट खाद व किसानों और बागवानों के द्वारा नक़दी की फ़सलें जैसे सेब और अन्य फलों की पैदावार को बढ़ाएं जाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है।हर साल हिमाचल प्रदेश में बागवान इसे भारी मात्रा में इस्तेमाल करते हैं।पिछले साल सिर्फ़ कुल्लू ज़िले में ही 830 मैट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट खाद की खपत हुई थी है।पहले जो सिंगल सुपर फॉस्फेट खाद का पचास किलो का बैग जो 750 रुपये का मिलता था वो अब केंद्र सरकार के मूल्य बढ़ाएं जाने के बाद किसानों बागवानों को 812 रुपये का मिलेगा।

कँवर रवींद्र सिंह ने खाद में बढ़ाएं गए मूल्यों को तत्काल प्रभाव से वापस लेने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह किया है।उन्होंने सेब में रियालट्री शुल्क घटाए जाने की भी निंदा की।केंद्र सरकार ने गत वर्ष सितंबर के माह में दूसरे देशों से आयात किए जाने वाले सेबों में जो 20 प्रतिशत शुल्क घटाया था उसका परिणाम यह हुआ कि एक सितंबर नवंबर के बीच वाशिंटन सेब के भारत में 4,40,000 बॉक्स आयात किए गये।इससे भारत और ख़ासकर हिमाचल में जो अच्छी क़िस्म का सेब जो अभी CA स्टोर में है उसको अच्छे मूल्य ना मिलने की आशंका जतायी है। उन्होंने आयातशुल्क को घटाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और हिमाचलप्रदेश के सेब के किसानों बागवानों के साथ भेदभाव बताया है। सरकार के द्वारा आयातशुल्क को फिर से बहाल किए जाने के लिए भी हिमाचल प्रदेश के साथ कांग्रेस ने केंद्र सरकार से माँग की है।

प्रधानमंत्री जी के द्वारा 2015 में जिस प्रकार पूरे देश के किसानों के साथ उनकी आय को 2022 तक दोगुना करने का वादा था वो सब्सिडी इस घटाने और आयात शुल्क घटाने से पूरा नहीं हुआ है परंतु उनकी आर्थिक स्थिति और भी ख़राब हुई है। केंद्र सरकार ने हिमाचल के किसानों और बागवानों के साथ नाइंसाफ़ी की है। आज किसानों को संरक्षण और सहायता की ज़रूरत है। उनका जीवन बरसात मैं हुई त्रासदी से अस्त व्यस्त हुआ है और केंद्र सरकार को उनपर ऐसे निर्णय नहीं थोपने चाहिए।

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