शिमला, सुरेंद्र राणा: राजधानी में सड़कों के किनारे अनाधिकृत पार्किंग जाम की वजह बन रही हैं। पूरे शिमला शहर में सड़कों के किनारे लंबी वाहनों की ऐसी कतारें देखी जा सकती हैं। शहर में एंट्री के साथ ही लोगों को जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा हैं। जाम से निजात के जिला प्रशासन के सभी दावे हवा है।

टूटू, तारादेवी, संकटमोचन और ढली, संजौली में रोजाना घंटों तक जाम की स्थिति बनती हैं जिसकी सबसे बड़ी वजह है सड़क किनारे खड़ी की गई गाडियां हैं। सड़क पर गाडियां धड़ले से पार्क की जाती हैं जिससे अक्सर जाम लगा जाता हैं लोगों में चालान का कोई डर नहीं हैं। जाम की दूसरी बड़ी वजह है सड़क किनारे सब्जी व फल की दुकानें। इनकी संख्या लगातर बढ़ रही है। तारादेवी से संकटमोचन, घोड़ाचौकी की तरफ हाई वे पर बाहरी राज्यों से आए लोगों ने सड़क किनारे फलसब्जी के ढारे खोल दिए हैं जिससे लोग बेतरतीब तरीके से यहां गाडियां रोक देते हैं, जाम के साथ ही कई बार इससे हादसे भी पेश आ चुके हैं लेकिन प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं होती। ध्यान में होते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती जिससे समाधान के बजाए समस्या लगातार बढ़ रही है।

बायपास से विधानसभा तक उधर बीसीएस से खलीनी चौक तक अकसर अवैध पार्किंग के कारण ही जाम लगता है और इससे दोनों ओर से लंबी कतारें लग जाती हैं। हालांकि इन क्षेत्रों में यातायात पुलिस की तैनाती भी रहती है और इसके बावजूद यहां पर जाम की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है। कई बार जाम की ऐसी स्थिति बन जाती है कि कुछ लोग तो बसें छोड़कर पैदल ही अपने गंतव्य के लिए निकलने को मजबूर हो जाते हैं। यह हाल केवल एक दिन का नहीं है बल्कि रोजाना यहां पर स्थिति ऐसी ही बनी रहती है। पुलिस का दो मिनट ट्रेफिक प्लान का कोई लाभ नही दिखता।

सड़के चौड़ी करने का कोई फायदा नही है अगर सड़क पर गाडियां ही पार्क करनी हैं। जुर्माने को अनदेखा करते हुए धड़ल्ले से वाहन मालिक गाड़ियां खड़ी करते हैं। वाहन मालिकों को ना चालान कटने का डर और ना ट्रैफिक पुलिस की ओर से की जाने वाली कार्रवाई की कोई चिंता होती हैं। पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन के समस्या से निजात दिलाने के सभी दावे खोखले ही है क्योंकि दिक्कत ज्यों की त्यों बनी है।

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