चंडीगढ़, सुरेंद्र राणा: शहर में ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) के लिए टेस्ट देने वालों में से एक तिहाई लोग फेल हो रहे हैं। इस वर्ष अब तक 31999 लोगों ने डीएल के लिए सेक्टर-23 के चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क में टेस्ट दिया लेकिन उसमें से 21350 लोग फेल हो गए। सिर्फ 10649 लोग टेस्ट को पास कर पाए। इन आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि चंडीगढ़ में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना आसान नहीं है।
सेक्टर-17 स्थित रजिस्टरिंग एंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने इस वर्ष ड्राइविंग लाइसेंस के लिए दिए गए टेस्ट और उसमें हुए पास-फेल के आंकड़े जारी किए हैं। आंकड़ों के अनुसार हर महीने औसतन 2800 लोग डीएल बनवाने के लिए टेस्ट देते हैं लेकिन चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क के ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक के हर मोड़ पर लगे सेंसर्स और कैमरे छोटी चूक पर भी व्यक्ति को फेल कर देते हैं। ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक खासतौर पर डिजाइन की गई रोड है, जिसके हर मोड़ पर सेंसर लगे हैं जोकि चालक की परफॉर्मेंस का पता लगाकर रिजल्ट जारी करते हैं। आवेदक को एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन कार्ड भी जारी किया जाता है, जिससे अगर वह कोई गलती करता है तो रेडियो फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक से पता लग जाता है। इसके अलावा ट्रैक के पोल और सिग्नल्स पर लगे कैमरे भी आवेदन की परफॉर्मेंस पर नजर रखते हैं। आरएलए प्रद्युमन सिंह ने कहा कि कैमरे और सेंसर्स की निगरानी में ही टेस्ट लिए जाते हैं। कैमरे व सेंसर्स पूरे टेस्ट को रिकॉर्ड करते हैं, जिसके आधार पर ही रिजल्ट जारी किया जाता है।
मई में सबसे कम तो जनवरी में बने सबसे ज्यादा डीएल
आंकड़ों के अनुसार इस मई माह में सबसे कम 357 लोग ही ड्राइविंग टेस्ट को पास कर पाए। टेस्ट के लिए कुल 3174 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन इसमें से 2817 लोग फेल हो गए। अप्रैल माह में भी सिर्फ 414 लोग ही टेस्ट में सफल रहे। अप्रैल माह में 2855 लोग टेस्ट देने के लिए आए थे, जिसमें से 2441 लोग फेल हो गए। वहीं, जनवरी में कुल 3225 लोगों ने आवेदन किया, जिसमें से 1665 पास हुए और 1560 फेल हो गए।
करीब सात ट्रैक पर चलानी होती है गाड़ी, सफल रहे तो जारी होता है डीएल
सेक्टर-23 के ट्रैफिक पार्क में आवेदन करने वालों को सात ट्रैक पर वाहन चलाना होता है। इसमें रिवर्स ट्रैक, यू-टर्न ट्रैक, रॉन्ग टर्न ट्रैक, फोर जंक्शन ट्रैक, राउंड अबाउट ट्रैक और ग्रेडिएंट ट्रैक आदि शामिल है। टेस्ट के बाद पूरी रिपोर्ट ट्रैक के पास में बने एक कंट्रोल रूम में आ जाती है। अगर आवेदक ने बिना किसी गलती से सारे ट्रैक पर गाड़ी चलाई होती है तो उसी समय इसका रिजल्ट भी जारी कर दिया जाता है।
+ There are no comments
Add yours