शिमला, सुरेंद्र राणा: प्रधानमंत्री कार्यालय से आई चिट्ठी राज्य सरकार के वन महकमे के लिए जी का जंजाल बन गई है। पीएमओ के निर्देश पर केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने इस संबंध में उपयुक्त कार्रवाई करने के लिए कहा है। मगर असल में क्या करना है, यह विभाग की समझ से परे है। राज्य वन निगम के उपाध्यक्ष केहर सिंह खाची ने पीएमओ से 1,000 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद जारी करने की मांग की थी। इसका कारण बरसात में भारी बारिश से वन संपदा को पहुंचा नुकसान बताया गया था।
खाची ने अगस्त महीने में एक चिट्ठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी थी। उन्होंने लिखा कि राज्य में करीब 28 प्रतिशत वन क्षेत्र है।
इसके संरक्षण की जरूरत है। मौजूदा नुकसान से जिस तरह से वन भूमि में मृदा क्षरण और भूमि कटाव हुआ है, उसकी भरपाई के लिए करीब 1000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। उन्होंने थुनाग समेत कई क्षेत्रों में वन विभाग की लकड़ी के बाढ़ में बह जाने का भी मामला उठाया तो इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने वन मंत्रालय को चिट्ठी भेजी कि इस बारे में उपयुक्त कार्रवाई करें।
केंद्रीय वन मंत्रालय ने आगे हिमाचल प्रदेश सरकार के वन विभाग को ही पत्र भेज दिया कि इस बारे में कार्रवाई की जाए। अब विभाग की समझ से परे है कि यह पत्र तो आर्थिक मदद मांगने के लिए भेजा गया था। इस पर किस तरह की उपयुक्त कार्रवाई की जानी चाहिए। राज्य वन विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन राजीव कुमार ने कहा कि इस चिट्ठी का अध्ययन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर राज्य के वन क्षेत्र में भारी बारिश और बरसात से हुई तबाही की भरपाई के लिए 1000 करोड़ रुपये की मदद मांगी गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसका संज्ञान लेकर इसे केंद्रीय वन मंत्रालय को भेजा। मगर केंद्रीय वन मंत्रालय से प्रधान मुख्य अरण्यपाल को चिट्ठी आई है कि इस बारे में उपयुक्त कार्रवाई करें। यह मदद केंद्र सरकार से मांगी गई है। हिमाचल प्रदेश वन विभाग इस पर कैसे उपयुक्त कार्रवाई करेगा। यह अधिकारी ही बता सकते हैं। उनसे जानकारी ली जा रही है।- केहर सिंह खाची, उपाध्यक्ष, वन निगम, हिमाचल प्रदेश।
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