राज्यपाल ने सीएम को फिर लिखा पत्र; मांगा कर्ज की पाई-पाई का हिसाब, कैग के आंकड़ों का दिया हवाला

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पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: पंजाब सरकार की ओर से डेढ़ साल में लिए गए कर्ज का हिसाब लेने के बाद राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने अब सरकार से खर्च किए गए एक-एक पैसे का विस्तार से हिसाब मांग लिया है। राज्यपाल ने कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से सभी अघोषित खर्चों का ब्योरा देने को कहा है। मंगलवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान को भेजे पत्र में राज्यपाल ने जानकारी मांगी है कि कर्ज का पैसा कहां-कहां खर्च किया गया? मुख्यमंत्री भगवंत मान के जन्मदिन के मौके पर भेजे गए पत्र में राज्यपाल ने सुझाव दिया गया है कि कर्ज के पैसे का इस्तेमाल आमदनी बढ़ाने में किया जाए और मुफ्त बिजली जैसी लोक लुभावन स्कीमों पर खर्च से बचा।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि राज्य से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने दुर्लभ वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन के लिए विवेकपूर्ण राजकोषीय नीतियों का पालन करेगा लेकिन यह बात सामने आ रही है कि राज्य सरकार अपने वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन प्रभावी ढंग से नहीं कर रही।

उदाहरणों के साथ उठाए सवाल

राज्यपाल ने लिखा है कि उदाहरण के लिए वर्ष 2022-23 में राज्य सरकार ने स्वीकृत राशि 23,835 करोड़ की जगह 33,886 करोड़ कर्ज लिया। यह राज्य विधानसभा की ओर से अनुमोदित राशि से 10,000 करोड़ अधिक है। 10 हजार करोड़ के इस अतिरिक्त कर्ज को स्पष्ट करने की जरूरत है, क्योंकि स्पष्ट है कि इसका उपयोग पूंजीगत संपत्ति के निर्माण के लिए नहीं किया गया है। यह बात इससे भी साफ हो जाती है कि प्रभावी पूंजीगत व्यय 11,375.59 करोड़ से 9,691.53 करोड़ रहा जो अनुमानित से 1,500 करोड़ से अधिक नीचे है। संशोधित अनुमानों के अंतर्गत, अनुमानित आंकड़ों के अनुसार अतिरिक्त उधार का उपयोग विरासती ब्याज चुकाने के लिए भी नहीं किया गया। वास्तव में इस मद में वर्ष 2022-23 वर्ष के दौरान कुल भुगतान 19,905 करोड़ रहा, जबकि बजटीय अनुमान 20,100 करोड़ का था।

सरकार और कैग के आंकड़ों में व्यापक भिन्नता

राज्यपाल ने लिखा कि कैग की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि आप ने चार अक्तूबर के अपने पत्र के माध्यम से जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं, उनमें और कैग के आंकड़ों में व्यापक भिन्नता है। कैग ने कर्ज में 49,941 करोड़ रुपये की वृद्धि की ओर इशारा किया है, जबकि राज्य का पूंजीगत व्यय मात्र 7,831 करोड़ है। हालांकि इसके लिए अनुमान 10,208 करोड़ का लगाया गया है। चालू वर्ष के दौरान पूंजीगत व्यय का अनुमानित स्तर अब तक 12 फीसदी रहा है, जिससे चिंता पैदा हो रही है कि इस वर्ष भी राज्य अपने पूंजीगत व्यय लक्ष्य से पीछे रह जाएगा। समय आ गया है कि पंजाब को मजबूत राजकोषीय स्थिति में वापस लाने के लिए ईमानदार प्रयास किए जाएं। राज्यपाल ने कैग से ऐसी कोई जानकारी नहीं मांगी है कि उनके आंकड़े कैग की रिपोर्ट से अलग कैसे हैं?

उधार के पैसे का उपयोग आमदनी बढ़ाने में हो

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को सलाह दी है कि घाटे का वित्तपोषण करते हुए पूंजीगत परिसंपत्ति को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाता है। ऐसे में उधार के पैसे का उपयोग ऐसे प्रोजेक्टो में होना चाहिए, जिससे राज्य की आमदनी बढ़ाई जा सके। राज्यपाल ने लिखा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि कल्याणकारी उपायों को व्यापक रूप से लागू किया जाए लेकिन वित्तीय विवेक की मांग है कि कल्याणकारी उपायों के साथ राजकोषीय अनुशासन, अनुत्पादक व्यय में कटौती और राजकोषीय फिजूलखर्ची रोकी जानी चाहिए।

मुफ्त की स्कीमों से बचा जाए: राज्यपाल

राज्यपाल ने मुफ्त की स्कीमों को गलत ठहराते हुए मुफ्त बिजली स्कीम का हवाला दिया है। उन्होंने लिखा कि बेईमान तत्वों को मुफ्त स्कीमों से फायदा मिलने लगता है। बिजली चोरी इसी का उदाहरण है। सुशासन की मांग है कि इस तरह की बिजली चोरी पर अंकुश लगाया जाए और इससे होने वाली बचत का उपयोग समाज के कमजोर वर्गों को सब्सिडी देने में किया जाना चाहिए।

और कहां-कहां किया खर्च?

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री मान से उस खर्च का भी ब्योरा देने को कहा है, जिसकी जानकारी उन्होंने अब तक राज्यपाल को नहीं दी। राज्यपाल ने पूछा है कि क्या उन्हें पूंजीगत प्राप्तियों को अन्य अज्ञात उद्देश्यों के लिए डायवर्ट करने के कारणों सहित सटीक आंकड़े मिल सकते हैं?

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