नशे के झूठे केस में फंसाने का आरोप, हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों पर एफआईआर का दिया आदेश

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पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: नशा विरोधी कानून (एनडीपीएस एक्ट) मामले में पुलिस अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि जिन पर कानून को कायम रखने और नागरिकों की रक्षा का जिम्मा है, वही शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। यह देश के हर नागरिक के लिए चिंता का विषय है। यह टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने एनडीपीएस के झूठे केस में फंसाने के आरोप के मामले में आरोपी पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने व डीआईजी जालंधर की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया।

याचिका दाखिल करते हुए कुलदीप ने बताया कि पुलिस ने एनडीपीएस के मामले में कपूरथला में 23 सितंबर, 2019 में एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में याची को कुष्ठ आश्रम के पास से गिरफ्तार दिखाया गया, जबकि पुलिस ने उसे उसकी वर्कशॉप से उठाया था। सीसीटीवी कैमरे में साफ दिख रहा है कि उसी दिन पुलिस वाले सादे कपड़ों में उसके कार्यालय आए थे और शाम को उसकी गिरफ्तारी गुप्त सूचना के आधार पर दिखाई थी। इस मामले में याची ने सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी को जांच सौंपने की मांग की थी।

जांच की रिपोर्ट हर माह हाईकोर्ट में सौंपने का आदेश

मामले में हाईकोर्ट ने जब एसएसपी का हलफनामा देखा तो पाया कि इसमें व एफआईआर में काफी फर्क है। साथ ही यह भी पाया कि 31 मई, 2022 को हाईकोर्ट को बताया था कि इस मामले में एसआईटी गठित की जा रही है। जब हाईकोर्ट ने इस बारे में सरकारी वकील से पूछा तो वह जानकारी नहीं दे सके। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए डीआईजी जालंधर की अध्यक्षता में एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है। साथ ही आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और इस मामले की जांच की रिपोर्ट हर माह हाईकोर्ट में सौंपने का आदेश दिया है।

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