चंडीगढ़, सुरेंद्र राणा: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार मृत कर्मचारी के विरुद्ध कोई आदेश पारित नहीं कर सकती। मृत कर्मचारी अपने बचाव के लिए उपलब्ध नहीं है, ऐसे में उसकी मृत्यु के तुरंत बाद उसके खिलाफ लंबित सभी कार्यवाही समाप्त हो जाती है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने मृतक की विधवा द्वारा दाखिल याचिका को मंजूर करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।
याचिका दाखिल करते हुए हिसार निवासी राजबाला ने हाईकोर्ट को बताया कि उसके पति 1981 से हरियाणा सरकार के कर्मचारी थे। हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश तक तकनीकी कर्मचारियों को टेक्निकल पे देने का निर्णय लिया था। इसी निर्णय के तहत याची के पति को भी 2012 में यह लाभ दिया गया।
अचानक मई 2017 में उसके पति को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह लाभ वापिस ले लिया गया। इस फैसले को याची के पति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और हाईकोर्ट ने 8 नवंबर 2019 को हरियाणा सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। हालांकि सरकार को नए सिरे से आदेश जारी करने की छूट दी गई। इसके बाद सरकार ने फरवरी 2020 को आदेश जारी कर याची के पति को दिया गया टेक्निकल पे स्केल पिछली तारीख से वापिस ले लिया।
याची ने बताया कि उसके पति की मौत जुलाई 2018 में हरियाणा सरकार के आदेश से पहले हो गई थी। ऐसे में सरकार मृत कर्मचारी के खिलाफ कैसे कोई आदेश जारी कर सकती है। हरियाणा सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट ने सरकार को याची के पति को लेकर नए सिरे से आदेश जारी करने की छूट दी थी। ऐसे में सरकार को अधिकार था कि वे यह आदेश जारी कर सकें।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि कर्मचारी के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही समाप्त होने से पहले उसकी मृत्यु हो जाए तो कार्यवाही स्वयं ही समाप्त हो जाती है। ऐसे में नियोक्ता द्वारा मृत कर्मचारी या उसके कानूनी प्रतिनिधि पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कोई भी आदेश पारित नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने टेक्निकल पे वापिस लेन का फैसला खारिज करते हुए याचिका को मंजूर कर लिया है।
+ There are no comments
Add yours