पंजाब: कनाडा और भारत के बीच चल रहे तनाव के बीच अब सुरक्षा एजेंसियों की नजर उन समाजसेवी संस्थाओं पर टिक गई जो समाजसेवा की आड़ में विदेश से मोटी फंडिंग लेती हैं और इस रकम का इस्तेमाल खालिस्तान की हवा को तेज करने में करती हैं। एजेंसियों ने अब विभिन्न इलाकों में सक्रिय ऐसी संस्थाओं की सूची बनाना शुरू कर दी है।
अब इन संस्थाओं के आय के स्रोतों की जांच होगी। ऐसे में पांच अक्तूबर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) समेत विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की दिल्ली में होने वाली बैठक को अहम माना जा रहा है। इसमें देश और विदेश में खालिस्तानी नेटवर्क को तोड़ने का एक्शन प्लान बनाया जाएगा।
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबक देश में कई प्रतिबंधित संगठन हैं। इनसे जुड़े लोग पाकिस्तान, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक फैले हैं। इन लोगों की हमेशा कोशिश रहती है कि भले ही वे पंजाब नहीं जा सकते लेकिन उनका दबदबा वहां कायम रहे। यही वजह है कि वे खालिस्तान की विचारधारा को आगे बढ़ाते हैं। सूत्रों के मुताबिक ये लोग बड़ी फंडिंग के बजाय छोटी-छोटी रकम हवाला के माध्यम से भेजते हैं।
पिछले समय में जितने भी खालिस्तानी समर्थक या आतंकियों को पकड़ा गया है, उनके खातों में विदेश से रकम आने के प्रमाण मिले हैं। विदेश में बैठे ये शरारती तत्व धन का लालच देकर भोले भाले लोगों को फंसाते हैं। सोशल मीडिया से ये लोग पंजाब में अपना नेटवर्क बनाते हैं और हर घटना पर इनकी नजर होती है।
सीधे गृह मंत्रालय को मुहैया करवा रहे जानकारी
पंजाब पुलिस के विभिन्न विंग बेहद सक्रिय हैं। घर पहलू पर उनकी नजर है। बैठक में इस बात को गृह मंत्रालय के सामने उठाया जाता है। इस साल के शुरू में ही पंजाब पुलिस ने केंद्र सरकार के समक्ष सीमावर्ती एरिया में खालिस्तान का मुद्दा उठाया था। इसके बाद फरवरी में जब स्थिति अपने चरम पर थी तो ठीक उस समय केंद्र और पंजाब सरकार ने ऑपरेशन चलाया था। साथ ही खालिस्तान समर्थक अमृतपाल को गिरफ्तार किया था।
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