शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का आज दूसरा दिन है। सदन में आज भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के संकल्प पर चर्चा होगी। इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक अपनी-अपनी बात कह रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के विधायक आपदा को लेकर सुक्खू सरकार को घेरने में कोशिश जरूर कर रहे । मगर, राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं होने और केंद्र से अब तक अतिरिक्त राहत राशि नहीं मिलने से विपक्ष खुद घिरता हुआ नजर आ रहा है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के अनुसार, आपदा से प्रदेश में अब तक प्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष तौर पर 12 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान और 441 लोगों की मौत हो गई है, लेकिन केंद्र से अब तक एक रुपए की भी अतिरिक्त मदद नहीं मिली। जो बजट मिला है, वह डिजास्टर फंड के तहत मिलना तय था और सभी राज्यों को मिला है।
हिमाचल में सदी की सबसे भीषण तबाही के बावजूद केंद्र से मदद नहीं मिल पाई। इसलिए मुख्यमंत्री ने विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि आपदा में राजनीति बंद करें और दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से हिमाचल में राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग करें।
BJP ने लाया था काम रोको प्रस्ताव
दरअसल, BJP ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही पिछले कल आपदा पर चर्चा के लिए काम रोको प्रस्ताव लाया था। हालांकि उस प्रस्ताव को स्पीकर ने स्वीकार नहीं किया, क्योंकि सदन की कार्यसूची में पहले ही आपदा पर चर्चा शामिल थी। लिहाजा स्पीकर ने सदन की दूसरी कार्यवाही को सस्पेंड करते हुए सरकारी संकल्प पर चर्चा की इजाजत दीहै। ऐसे में विपक्ष का चर्चा का दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है।
केदारनाथ की तर्ज पर स्पेशल पैकेज की मांग
विधानसभा में सरकारी संकल्प पर चर्चा पूरी होने के बाद इसे पास कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा और केदारनाथ की तर्ज पर स्पेशल पैकेज की मांग की जाएगी।
हिमाचल सरकार बार-बार केंद्र से यह मांग करती आई है। मगर, केंद्र सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही। आलम यह है कि हिमाचल में क्षतिग्रस्त नेशनल हाईवे की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार बजट नहीं दे रही। मुख्यमंत्री सुक्खू ने भी कहा कि केंद्र से बजट नहीं मिलने के कारण NH की रिपेयर के लिए उन्हें स्टेट फंड से 10 करोड़ जारी करने पड़े हैं। राज्य सरकार अब तक अपने साधनों से मदद करती आई है।
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