शिमला (सुरेंद्र राणा): नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बिजली के शुल्क में डेढ़ गुना वृद्धि करके सरकार प्रदेश में चल रहे उद्योगों को बर्बाद करना चाह रही है। उन्होंने कहा कि बिजली के शुल्क सरकार ने अलग बढ़ाए, वहीं पिछली सरकार द्वारा प्रदेश में नए उद्योगों को लगाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा दी गई रियायत को भी वापस ले लिया है।
यह एक दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीतिक बदले की भावना से लिया गया फैसला है। ऐसे चलता रहा तो प्रदेश में नए उद्योग आने की बजाय जो यहां काम कर रहे हैं, वे भी बाहर जाने को मजबूर हो जाएंगे। जयराम ने कहा कि प्रदेश में उद्योग-धंधों को बर्बाद करने और उन्हें प्रदेश से बाहर भेजने पर योजनाबद्ध तरीके से काम हो रहा है। एक तरफ सरकार के तुगलकी फैसले उद्योगों में आर्थिक असुरक्षा की भावना पैदा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बेखौफ माफिया तंत्र उद्योगपतियों को डरा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह माफिया किसकी शह पर काम कर रहा है, इन्हें कौन संरक्षण दे रहा है, यह बात मुख्यमंत्री को पता करके उन पर कार्रवाई करनी चाहिए।
आपदा प्रभावितों को पड़ेगी दोहरी मार
जयराम ने कहा कि बिजली शुल्क में वृद्धि से प्रदेश में सीमैंट और लोहे के दाम भी बढ़ जाएंगे, जिससे आपदा में अपना घर गंवा चुके लोगों को दोहरी मार पड़ेगी। सरकार ने पहली आपदा के बाद ही डीजल के दाम बढ़ाकर आपदा प्रभावित प्रदेश में लोगों पर महंगाई का बोझ डाल दिया था। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार बिजली, पानी, कूड़ा उठाने के साथ प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ाकर लोगों पर महंगाई का बोझ पहले ही डाल चुकी है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपदा के समय में भी प्रदेश के लोगों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष महंगाई का बोझ बढ़ाना किसी भी तरह से सही नहीं है।
रोजगार पर पड़ेगा असर
जयराम ने कहा कि उद्योगों के लगने से प्रदेश में उत्पादन होता है। प्रदेश में हजारों की संख्या में लोगों को सीधा रोजगार मिलता है। इसके अलावा भी तमाम तरह के अवसर उपलब्ध होते हैं लेकिन सरकार के इस तरह के फैसले से उद्योग पलायन कर गए तो इसका सीधा असर रोजगार पर पड़ेगा। हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
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