शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के चलते जगह-जगह भूस्खलन से हुई भारी तबाही के बाद चार संस्थानों को आपदा के कारणों को तलाशने का जिम्मा सौंपा गया है। आईआईटी रुड़की, आईआईडी मंडी, केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला और एनआईटी हमीरपुर से इस संबंध में बातचीत चल रही है। अध्ययन रिपोर्टों के आधार पर ही तय किया जाएगा कि भूस्खलन के पूर्वानुमान के लिए किस तरह की पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित की जाए।
इस बार मानसून में हुई भारी तबाही के बाद राज्य सरकार जहां आपदा राहत कार्यों में जुटी है, वहीं भूस्खलन के कारणों पर अब एक विस्तृत अध्ययन करवाया जा रहा है। राज्य में शिमला, मंडी, कुल्लू समेत अन्य आपदा प्रभावित जिलों में पिछले दिनों बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। भूस्खलन में दबने व नदी-नालों में बहने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हो गईं। हजारों लोगों के घर ढह गए और बेघर हो गए।
राज्य सरकार के प्रधान सचिव राजस्व व आपदा प्रबंधन ओंकार शर्मा ने बताया कि राज्य में जिस तरह से भारी बारिश के बाद आपदा आई, उसके बाद यह तय किया गया है कि आईआईटी रुड़की, आईआईटी मंडी, केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला और एनआईटी हमीरपुर से इस संबंध में एक विस्तृत अध्ययन करवाया जाएगा कि भूस्खलन के क्या-क्या कारण हैं। अध्ययन पर होने वाला खर्चा प्रदेश सरकार वहन करेगी। इस अध्ययन के बाद ही पूर्व चेतावनी प्रणाली लगाई जाएगी, जिससे कि भूस्खलन का पता लग जाए।
50 स्थानों पर लगाई पूर्व चेतावनी प्रणाली नहीं आई काम
आईआईटी मंडी की ओर से तैयार की गई पूर्व चेतावनी प्रणाली राज्य में करीब 50 स्थानों पर लगाई गई थी, लेकिन यह प्रणाली भी काम नहीं आई। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में सदी की यह इस तरह की सबसे बड़ी तबाही है। राज्य में कंक्रीट के कई भवन भरभराकर ढह गए, कई सड़कें और पुल बह गए।
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