हिमाचल में भारी बारिश से हुई तबाही, जानमाल के साथ हुआ आर्थिक नुक्सान, केंद्र से नहीं मिली अपेक्षित आर्थिक मदद

शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश में शायद ही पहले कभी ऐसी त्रासदी बरसात के मौसम में हुई हो जिससे प्रदेश को आर्थिक नुक्सान के साथ लोगों को इतनी जान गवानी पड़ी है। सरकार आपदा से निपटने के लिए बेहतरीन ढंग से प्रबन्धन कर रही है और जो सहायता प्रभावितों को मिलने चाहिए वह भी तुरन्त दी जा रही है। सीएम खुद आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। आपदा की इस घड़ी में हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार से ज्यादा उम्मीदें है लेकिन अभी तक केंद्र से अपेक्षित आर्थिक मदद नही मिली है। विपक्ष आपदा की स्थिति में बयानबाजी कर रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण हैं।

नरेश चौहान ने कहा कि बीते कल ही एनएच को बहाल करने के लिए सीएम ने 10 करोड़ रूपए की राशि जारी की है हालाकि एनएचएआई के दायरे में एनएच आते हैं बावजूद इसके सीएम ने लोगों को असुविधा न हो इसके लिए राशि ज़ारी की है। सेब बागवानों को राहत देने के लिए सरकार कदम उठा रही है।

एमआईएस के तहत खरीदे जाने वाले सेब पर डेढ़ रुपए समर्थन मूल्य बढ़ा दिया गया है।आपदा के समय में सरकार किसी भी तरह की राजनीति से परहेज कर रही है लेकिन विपक्ष के नेता लगातार उल्टे सीधे ब्यान दे रहे हैं और आपदा को लेकर विधान सभा के विशेष सत्र की मांग कर रहे हैं जिसका फिल्हाल कोई औचित्य नहीं है। विपक्ष को चाहिए की आपदा की घड़ी में एकजुट होकर केंद्र सरकार से हिमाचल की मदद करवाने के लिए आगे आए।

उन्होंने कहा कि सरकार केंद्र सरकार की टीम बीते महीने हुए आपदा से नुक्सान का जायज़ा लेकर दिल्ली लौट गई है लेकिन रिपोर्ट जमा होने के इतने दिन बाद भी हिमाचल को कोई मदद नहीं मिली है। हिमाचल सरकार को आपदा फंड की लंबित 180 करोड़ की राशि राज्य को मिली और एक किस्त 180 करोड़ रूपए की दिसंबर में मिलने वाली आपदा की किस्त एडवांस में मिली हैं।

जबकि 2020-21 की आपदा की 315 करोड़ की राशि ऑडिट ऑब्जेक्शन के कारण रुकी हुई है उसमें से 189 करोड़ रूपए मिले हैं इसके अलावा प्रदेश को केंद्र सरकार से एक भी पैसा नहीं मिला है। प्रधानमंत्री हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर मानते हैं इसलिए इस आपदा की घड़ी में लोगों को प्रधानमंत्री से सहायता की उम्मीदें हैं।

 

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